भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा सब्जी की 42 किस्मों के ऊपर काम किया जा रहा है. 1992 से स्थापित देश के इकलौते संस्थान में सब्जी की न सिर्फ ज्यादा उत्पादन देने वाली बल्कि उच्च पोषण वाली किस्म पर भी काम किया जा रहा है. संस्थान के द्वारा अभी तक 150 से ज्यादा सब्जी की किस्मों को विकसित किया जा चुका है. यहां ऐसी किस्म को विकसित किया गया है जिसके दम पर किसान की आय बढ़ रही है. वर्ष 2023 में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की कुल 28 नई किस्मों को जारी किया गया है जिनमें काशी तृप्ति का नाम भी शामिल है. ये मटर की एक ऐसी किस्म है जिसको छिलके के साथ खाया जा सकता है. इस मटर का छिलका खाने से कैंसर, शुगर, मोटापा, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन से संबंधित खतरा कम हो जाता है. मटर की यह किस्म पोषक तत्वों से भरपूर है. इसके साथ ही इस किस्म की मटर की पैदावार भी काफी ज्यादा है जो किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की महिला वैज्ञानिक डॉ. ज्योति ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि वह इस संस्थान में मटर की ऐसी किस्म को विकसित करने का काम कर रही हैं जिसका उत्पादन ज्यादा हो. इसके साथ ही मटर भी पोषक तत्व से भरपूर हो. उन्होंने मटर की ऐसी ही किस्म को विकसित करने में सफलता हासिल की है जिसे छिलके के साथ खाया जा सकता हैं. मटर की इस किस्म का नाम काशी तृप्ति रखा गया है जिसे अब नई दिल्ली के कृषि भवन में केंद्रीय उप समिति की बैठक में हरी झंडी मिल गई है.
काशी तृप्ति मटर दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा मीठी है. वहीं इस की फली का आकार की काफी बड़ा है. इसके छिलके खाने से डाइटरी फाइबर के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट भी मिलता है. डॉ. ज्योति देवी ने बताया कि आमतौर पर मटर का केवल दाना ही खाया जाता है जबकि छिलका फेंक दिया जाता है जो उपज का लगभग 40 फ़ीसदी से ज्यादा होता है. इसीलिए उन्होंने एक ऐसी किस्म का विकास किया है जिसका छिलका भी उपयोगी है. इसे सलाद के रूप में भी खाया जा सकता है. इसमें क्लोरोफिल भी भरपूर मात्रा में है.
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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की प्रधान महिला वैज्ञानिक डॉ. ज्योति ने बताया कि मटर की यह प्रजाति पोषक तत्वों से भरपूर है. इसमें प्रोटीन, डाइटरी फाइबर के साथ एंटी ऑक्सीडेंट भी पाया जाता है. उसके साथ भी एस्कोरबिक एसिड की मात्रा प्रति 100 ग्राम 33.4 मिलीग्राम है जो सर्वाधिक है. काशी तृप्ति में फ्लेनाएड, टोटल फिनोल और एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. वही इसके बीच में मिठास की भरपूर मात्रा है.
विदेशों में छिलके के साथ कई सब्जियां खाई जाती हैं जिससे भरपूर पोषण मिलता है. इसी को ध्यान में रखकर भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा मटर की नई किस्म को विकसित किया गया. मटर की काशी तृप्ति किस्म का उत्पादन भरपूर है बल्कि यह किस्म सामान्य किस्म के मुकाबले बाजार में महंगी भी बिकेगी. इस मटर की फली का वजन 8 ग्राम तक होता है. वही यह फली का आकार की बड़ा होता है. एक पौधे में 12 से 15 फलियां लगती हैं.
काशी तृप्ति किस्म की मटर की उपज प्रति हेक्टेयर 95 से 100 क्विंटल है. इस किस्म की मटर की तुड़ाइ तीन बार तक की जा सकती है. यह किस्म सफेद चूर्ण आशिता के लिए भी प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती करने पर किसानों का खूब फायदा होगा. मटर की बुवाई के 50 से 56 दिन बाद फूल आने लगते हैं. वही काशी तृप्ति की पहली तोड़ाई बुवाई के 80 दिन बाद शुरू हो जाती है. यह मटर स्वाद में काफी मीठी होती है यहां तक की इसका छिलका भी खाने में स्वादिष्ट लगता है.