Neem Tree: भारत का चमत्कारी पेड़ जो बन गया ग्लोबल ट्री, हर इंसान के लिए है बेहद खास!

Neem Tree: भारत का चमत्कारी पेड़ जो बन गया ग्लोबल ट्री, हर इंसान के लिए है बेहद खास!

Neem Tree: भारतीय संस्कृति में नीम के पेड़ को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जो समृद्ध आयुर्वेदिक परंपरा का हिस्सा है. आज नीम ने अपने चमत्कारी गुणों के लिए वैश्विक मान्यता प्राप्त की है. इस पेड़ के गुणों के कारण यह एक बहुत ही उपयोगी पेड़ है जो प्राकृतिक उपचार, उद्योग, और पर्यावरणीय उपायों में प्रसिद्ध है. इसके गुणों से मिलने वाले लाभों के कारण इसका उपयोग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है.

नीम की खेती से किसानों को होती है बंपर कमाई
जेपी स‍िंह
  • नई दिल्ली,
  • Mar 26, 2024,
  • Updated Mar 26, 2024, 12:27 PM IST

नीमानामा: हजारों वर्षों से मनुष्य अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बीमारियों को ठीक करने के लिए हर्बल उपचार करता रहा है. नीम पौराणिक औषधीय वृक्ष आयुर्वेदिक चिकित्सा का अभिन्न हिस्सा बनकर अपने देश में मानव बस्ती के साथ ही विकसित हुआ है. यह भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न अंग रहा है, जो भारतीय सभ्यता के इतिहास से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है. आयुर्वेद में निवारिका के रूप में जाना जाने वाला नीम सभी रोगों का उपचार करने वाली सामग्री है. आज के वक्त में आधुनिक चिकित्सा में नीम का उपयोग शरीर के अंदर और बाहर रोगजनकों से लड़ने के लिए उपयोग किया जा रहा है. इसमें नीम के कीटनाशक, एंटीफीडेंट, हार्मोनल, एंटीफंगल, एंटीवायरल और नेमाटोसाइड गुण होते हैं.

पत्तियों के अर्क, बीज, केक, तेल और फलों के अर्क के रूप में नीम के उपयोग से नीम का महत्व और भी बढ़ गया है. नीम उत्पादों का उपयोग कृषि में बीज उपचार, खाद, पोषक तत्व दक्षता बढ़ाने में किया जाता है. वहीं प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में नीम का ऐसा गुण है जो शरीर में रोगों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध विकसित करने में मदद करता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक नीम को रोगों को रोकने और ठीक करने में एक प्रमुख तत्व मानते हैं.

नीम कैसे बना ग्लोबल ट्री?

इस चमत्कारी पेड़ के हर हिस्से का उपयोग प्राचीन काल से लेकर आज के आधुनिक समय तक सैकड़ों विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है. यह अभी भी अपने बेहतर और उपचार गुणों के लिए भारत में पूजनीय है. हाल के वैज्ञानिक शोध के बाद नीम की खेती दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है. इस चमत्कारी पेड़ की पत्तियों, बीज, छाल और लकड़ी का उपयोग करके कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं. किसी भी भारतीय जड़ी-बूटी से अधिक, नीम शरीर को रोगों से लड़ने और स्वस्थ होने में मदद करने में उपयोगी साबित हुआ है.

नीम का वानस्पतिक नाम अजादिरैक्टा इंडिका है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'भारत का स्वतंत्र वृक्ष'. इसका मूल स्थान भारत है. नीम पूरे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा, थाईलैंड, मलेशिया, और इंडोनेशिया में पाया जाता है. अब अपने गुणों के कारण नीम अन्य कई देशों में उगाया जाने लगा है और अब यह एक वैश्विक पेड़ बन गया है.

इस शताब्दी की शुरुआत में नीम को भारत से ले जाकर अफ्रीका में उगाया गया था. आज के वक्त में अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर, विशेषकर सहारा के दक्षिणी किनारे के क्षेत्रों में नीम के पेड़ लगाए गए हैं. भारत से गिरमिटिया मजदूर जहां गए थे, वहां नीम को भारतीय विरासत के हिस्से के रूप में ले जाया गया. नीम अब मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका में भी अच्छी तरह से स्थापित हो गया है. नीम को अब सऊदी अरब, यमन और फिलीपींस में भी उगाया जा रहा है. नीम के छोटे पौधे संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं.

हर जगह उग जाता है नीम

नीम एक आकर्षक चौड़ी पत्ती वाला सदाबहार, तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है. नीम लगभग सभी प्रकार की मिट्टी पर उगता है. लेकिन विशेष रूप से काली कपास मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पर यह उगता है. यह सूखी, बंजर मिट्टी पर भी अच्छी तरह पनपता है. अगर मिट्टी बंजर, पथरीली और उथली होती है, तो भी नीम कुछ अम्लीय मिट्टी पर भी अच्छी तरह से बढ़ता है. शुष्क क्षेत्रों में तेजी से बढ़ने वाले कई पौधो की तुलना में नीम बेहतर प्रदर्शन करता है. यह उच्च तापमान और कम वर्षा को सहन करता है. अत्यधिक सूखे को छोड़कर जब यह थोड़े समय के लिए अपनी पत्तिया गिरा देता है, तो भी यह पूरे वर्ष टिका रहता है.

यह बहुमुखी प्रतिभा वाला पेड़ है और यह अधिक गर्म परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से पनपता है. यहां तक कि अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर यह 0 डिग्री सेंटीग्रेड तक के न्यूनतम तापमान को सहन कर लेता है. हालांकि, यह अत्यधिक ठंडे तापमान या लंबे समय तक ठंड का सामना नहीं कर सकता है. नीम के पौधे तीव्र या अत्यधिक ठंड को सहन नहीं कर सकते. यह पाले के प्रति बहुत संवेदनशील है. नीम का पेड़ आमतौर पर 3 से 5 साल के बाद फल देता है और 10 साल में पूरी तरह से उत्पादक हो जाता है. यह दो सौ वर्षों से भी अधिक समय तक जीवित रह सकता है.

नीम का हर भाग बेहद अहम! 

नीम के पेड़ की हर चीज़ का औषधीय महत्व है. पत्तियां, छाल, फल, तेल, अर्क, बीज, क्रश, केक सबकुछ महत्वपूर्ण है. इन चीजों का उपयोग कीट प्रबंधन में भी किया जा सकता है. नीम भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है. नीम एक शिशु के जन्म से लेकर जीवन के अंतिम दिनों तक स्वास्थ्य के लिए प्रहरी रहा है. इसका महत्व पूरी दुनिया में देखा जाता रहा है. आज के समय में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के लोगों की नीम में रुचि कम हो गई है. मगर बाकी विश्व को नीम के मूल्य और महत्व का एहसास होना शुरू हो गया है. नीम पृथ्वी पर सबसे प्राचीन और सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों में से एक है. नीम के गुणों का मूल्यांकन अभी किया जा रहा है. नीम के और भी अधिक उपयोग के लिए शोध चल रहा है.

 

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