दिवाली के चलते नासिक की अधिकांश प्याज मंडियां लगातार दस दिन तक बंद रहने के बाद अब खोल दी गई हैं. अब प्याज की नीलामी होने लगी है लेकिन, दाम पहले जैसा नहीं रह गया है. दिवाली से पहले जो प्याज 5000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था उसके दाम में हजार रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है. एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में अब प्याज का औसत दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. हालांकि अब भी जुलाई-अगस्त के मुकाबले रेट काफी अच्छा है, लेकिन अक्टूबर से तुलना की जाए तो यह कम हो गया है. लगातार दस दिन की बंदी के बाद मंडियां खुली हैं तो जाहिर सी बात कि आवक बढ़ी है और उससे दाम पहले के मुकाबले थोड़ा कम है.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब दाम बहुत कम हो जाता है तब सरकार हमें मदद करने नहीं आती, लेकिन जब दाम थोड़े दिन के लिए बढ़ने लगता है तब सरकार उसे रोकने की कोशिश में जुट जाती है. सरकार ने दाम बढ़ते ही प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया. उसके बाद नफेड और एनसीसीएफ से सस्ता प्याज बिकवाया गया. उसके बाद पहले व्यापारियों ने हड़ताल की और फिर अब लगातार दस दिन की मंडी बंदी से किसानों का काफी नुकसान हो गया.
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दिवाली के पहले से ही मंडियों को व्यापारियों के कहने पर उसके मैनेजमेंट ने बंद कर दिया था. दिघोले का कहना है कि जब किसानों को प्याज बेचकर पैसा चाहिए था तब व्यापारियों ने मंडी बंद करा दी. इससे किसानों को हजारों रुपये का नुकसान हुआ. किसानों को अपनी सोयाबीन जैसी फसलें कम दाम पर बेचकर त्यौहार के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ा. नासिक की प्याज़ मंडियां 9 नवंबर से 19 नवंबर तक बंद थीं. जबकि यह नियम है कि लगातार तीन दिन से अधिक समय तक मंडियां बंद नहीं रखी जा सकतीं. क्योंकि इससे किसानों का नुकसान होता है.
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है, जहां देश का 43 परसेंट प्याज पैदा होता है. जबकि महाराष्ट्र के अंदर नासिक सबसे बड़ा प्याज उत्पादन करने वाला जिला है. नासिक प्याज की खेती के लिए ही मशहूर है. यहां कम से कम 20 बड़ी प्याज की मंडियां हैं. यह सभी बंद थीं. अब देखते हैं कि आखिर इतने दिन तक की मंडी बंदी के बाद महाराष्ट्र में प्याज का दाम कितना है.
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