मराठवाड़ा में बारिश से फसलें तबाह, किसान बोले– 3,400 रुपये मुआवजा मजाक से कम नहीं

मराठवाड़ा में बारिश से फसलें तबाह, किसान बोले– 3,400 रुपये मुआवजा मजाक से कम नहीं

मराठवाड़ा में बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. खेतों में पानी भरने से सोयाबीन, कपास, हल्दी और केले-पपीते जैसी फसलें बर्बाद हो गईं. किसानों का कहना है कि सरकार ने मुआवजे (मावेज़ा) के नाम पर उनके साथ मजाक किया है. उन्हें प्रति एकड़ केवल 3,400 रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि खेती की लागत 30 से 35 हजार रुपये तक आती है.

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क‍िसान तक
  • Sambhaji Nagar,
  • Sep 27, 2025,
  • Updated Sep 27, 2025, 7:05 AM IST

मराठवाड़ा में हाल ही में हुई भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. खेतों में जलभराव से सोयाबीन, कपास, हल्दी, केले और पपीते जैसी फसलें बर्बाद हो गई हैं. संकट में डूबे किसान सरकार की ओर से घोषित मुआवजे को मजाक बता रहे हैं और खुलेआम विरोध कर रहे हैं.

किसानों का आरोप– 3,400 रुपये में क्या होगा?

बारिश से फसल बर्बादी झेल रहे किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ केवल 3,400 रुपये मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि खेती की लागत 30,000 रुपये से 40,000 रुपये तक होती है.
जालना जिले के किसान सुरेश काले ने बताया: 

“2022 में एकनाथ शिंदे सरकार ने 10,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया था, इस बार तो तीन गुना नुकसान के बाद एक तिहाई मुआवजा मिल रहा है. यह किसानों को आत्महत्या की ओर धकेल सकता है.”

बर्बाद खेत, डूबा भविष्य

केले और पपीते के किसान बालासाहेब बोंगाने की पांच एकड़ की फसल पूरी तरह पानी में डूब चुकी है. उनका कहना है:

“सरकार केले के लिए 22,000 रुपये मुआवज़ा दे रही है, जबकि एक एकड़ की लागत 90,000 से 1 लाख रुपये होती है. हम कर्ज लेकर खेती करते हैं, अब उसे चुकाएंगे कैसे?”

इसी तरह बाबू राठौड़, जिनके 11 एकड़ खेत की सोयाबीन और कपास की फसल तबाह हो गई है, कहते हैं:

“सरकार 3,400 रुपये दे रही है जबकि खर्च 34,000 रुपये आया है. खेतों में अभी भी पानी भरा है, और पंचनामा तक नहीं हुआ है.”

मुख्यमंत्री का भरोसा, लेकिन असंतोष बरकरार

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर किसानों को भरोसा दिलाया कि सरकार 2,200 करोड़ रुपये की राहत राशि दे चुकी है और दिवाली से पहले सहायता पहुंचा दी जाएगी.
उन्होंने माना कि मौसम का पैटर्न बदल रहा है, और अब एक महीने की बारिश दो दिनों में हो रही है.

फडणवीस ने अधिकारियों को आदेश दिया कि जहां संभव न हो वहां ड्रोन और किसानों के मोबाइल से ली गई तस्वीरों को पंचनामा का आधार बनाया जाए. उन्होंने किसानों को ज्यादा कागजी औपचारिकताओं में न उलझाने की हिदायत भी दी.

नई योजना का ऐलान

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने "लालजी देशमुख कृषि समृद्धि योजना" के तहत वर्ल्ड बैंक से 6,000 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त की है. इसका उद्देश्य खेती को "क्लाइमेट रेजिलिएंट" यानी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सक्षम बनाना है.

विपक्ष का हमला– किसानों के साथ धोखा

विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा:

“किसानों को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवज़ा मिलना चाहिए. अगर नहीं मिला, तो कांग्रेस राज्यभर में आंदोलन करेगी.”

निष्कर्ष:

मराठवाड़ा के किसान भारी बारिश और कम मुआवज़े के बीच गहरे संकट में हैं.
एक तरफ खेत पानी में डूबे हैं, तो दूसरी ओर मुआवज़े की राशि उनकी वास्तविक लागत का एक हिस्सा मात्र है.
सरकार भरोसा दे रही है, लेकिन किसानों के जमीनी सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं. अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहराता जा सकता है.

(इसरारूद्दीन चिस्ती का इनपुट)

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