Malabar Spinach Farming : किसानों के लिए फायदे का सौदा है पोई की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

Malabar Spinach Farming : किसानों के लिए फायदे का सौदा है पोई की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

पोई की खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती का उचित समय सितंबर से जनवरी महीने का माना जाता है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

Malabar Spinach FarmingMalabar Spinach Farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 05, 2023,
  • Updated Dec 05, 2023, 6:10 PM IST

पोई एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती पूरे साल की जा सकती है. पोई साग को मालाबार पालक एक सदाबहार लता या बेल वाली सब्जी के रूप में भी जाना जाता है. इसकी पत्तियां मोटी और हरी होती हैं जिनका उपयोग सब्जी या सलाद के रूप में किया जाता हैं. इसमे विभिन प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक होते है. पोई में अन्य सब्जियों की तुलना में कई गुना ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई प्रचुर मात्रा में होते हैं. बाजार में आज-कल लोग शरीर को फायदे देने वाली ही सब्जियों का चयन करते हैं. 

इसका नियमित रूप से सेवन दिल की बिमारियों को कम करता है. इसके चलते इसकी मांग हमेशा बाज़ार में बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए पोई की खेती फायदे का सोदा साबित हो सकती है. किसान अगर इसकी सही तरीके से खेती करते हैं तो वो अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.

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कैसी होनी चाहिए मिट्टी

पोई के रोपाई के लिए दोमट, बलुई मिट्टी उचित होती है. इसकी खेती करने से पहले मिट्टी की जुताई करने के बाद इसमें सड़े गोबर की खाद, कंपोस्ट को मिला दें. किचन गार्डेन में गोबर की खाद मिलकार मिट्टी को गमले में भर दें. इसके पौधे की रोपाई के लिए मिट्टी में नमी रहना जरुरी है.

पोई की किस्में 

हरी मालाबार पालक बेसेला अल्बा 
इस प्रकार की किस्म मे सफ़ेद फूल पाए जाते है और इसकी पत्ती का रंग हरा होता है

लाल मालाबार बेसेला रुबरा 
इस किस्म के तने गहरे लाल रंग के और पत्तियां बैंगनी रंग की होती हैं.

रोपाई

पोई एक बहुवर्षीय फसल है. इसकी एक बार रोपाई के बाद इसकी पत्तियों का इस्तेमाल साल भर तक किया जा सकता है. इसकी रोपाई का सही समय सितंबर से जनवरी महीने के बीच किया जाता है.

कब करना चाहिए सिंचाई

इसकी फसल को 15 दिनों के अंतराल में पानी की आवश्यकता होती है. गर्मियों के दिन में यह अंतराल 5 से 10 दिन का हो जाता है. इन पौधों में अच्छे गुण पाए जाते हैं, ऐसे में इसको सायनिक खाद देने से परहेज करना चाहिए.

फायदे

पोई में पाया जाने वाला डायटरी फाइबर कब्ज से बचाता है और कोलेस्ट्राल लेवल को भी कम करता है. यह रक्त में थक्का बनने से भी रोकता है. पोई के साग का सेवन से गहरी नींद आती है. साग के अलावा इससे पकौड़े, सलाद, और कोफ्ता भी बनाया जाता है. इसे हम घर में सजावट के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.

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