Sugarcane Price: क‍िसानों के आक्रोश से गन्ना ब‍िक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला

Sugarcane Price: क‍िसानों के आक्रोश से गन्ना ब‍िक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला

पिछले सीजन यानी 2022-23 की तुलना में इस बार राज्य में चीनी उत्पादन 20-25 प्रतिशत कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में सरकार ने दूसरे राज्यों में गन्ना बेचने पर रोक लगा दी थी. हालांक‍ि, सवाल यह है क‍ि क्या म‍िलों के ह‍ित सुरक्षित रखने के ल‍िए क‍िसानों का नुकसान क‍िया जाएगा? 

इस साल गन्ना संकट का सामना कर सकता है महाराष्ट्र (Photo-Ministry of Agriculture). इस साल गन्ना संकट का सामना कर सकता है महाराष्ट्र (Photo-Ministry of Agriculture).
सर‍िता शर्मा
  • Mumbai,
  • Sep 23, 2023,
  • Updated Sep 23, 2023, 12:02 PM IST

महाराष्ट्र के गन्ना क‍िसानों का दबाव रंग लाया. राज्य सरकार ने अपने उस फैसले को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा था ज‍िसमें उसने महाराष्ट्र का गन्ना दूसरे राज्यों में बेचने पर रोक लगा थी. राज्य के क‍िसान इसका व‍िरोध कर रहे थे. स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी भी सरकार के इस फैसले के ख‍िलाफ मोर्चा खोले हुए थे. सरकार बैकफुट पर चली गई और उसे मामले की गंभीरता को भांपते हुए यह फैसला वापस लेना पड़ा. दरअसल, गन्ने उत्पादन में कमी के अनुमान को देखते हुए सरकार ने यह फैसला ल‍िया था. ताक‍ि राज्य की म‍िलों को परेशानी न हो. लेक‍िन, क‍िसानों के ल‍िहाज से बात करें तो यह बहुत ही खराब न‍िर्णय था. आख‍िर कोई सरकार अपनी फसल दूसरे राज्य में बेचने से कैसे रोक सकती है, वो भी तब जब दूसरे राज्य को खरीद में कोई आपत्त‍ि न हो. 

पिछले सीजन यानी 2022-23 की तुलना में इस बार राज्य में चीनी उत्पादन 20-25 प्रतिशत कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है. वजह है मॉनसून की बेरुखी. ऐसे में चीनी उद्योग की च‍िंता बढ़ गई है. राज्य में लगभग 200 चीनी म‍िलें हैं. कुछ ने अपनी क्षमता का व‍िस्तार क‍िया है. ऐसे में गन्ना की कमी ने चीनी बनाने वाली म‍िलों के माल‍िकों की च‍िंता बढ़ा दी है. ऐसा माना जा रहा है क‍ि चीनी मिलों की ऑपरेशनल क्षमता केवल 90 दिनों तक सीमित हो जाएगी. इसल‍िए सरकार ने क‍िसानों पर एक ऐसा आदेश थोप द‍िया था ज‍िसके तहत गन्ना दूसरे राज्यों में बेचने पर रोक लगा दी गई थी. लेक‍िन, क‍िसानों के व‍िरोध के बाद इस फैसले को वापस लेना पड़ा. 

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 क‍िसान संगठन ने दी थी चेतावनी 

देश के चीनी उत्पादन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा महाराष्ट्र का है. राज्य की मिलों ने सीजन 2022-23 में 10.5 मिलियन टन का उत्पादन किया है. कम बार‍िश की वजह से इस साल राज्य में गन्ने का गण‍ित गड़बड़ाता हुआ नजर आ रहा है. इसल‍िए सरकार इन म‍िलों की च‍िंता में डूबी हुई थी. 

लेक‍िन सवाल यह है क‍ि क्या म‍िलों के ह‍ित सुरक्षित रखने के ल‍िए क‍िसानों का नुकसान क‍िया जाएगा? ऐसे में शेट्टी ने सरकार को चेतावनी दी थी क‍ि अगर सरकार 2 अक्टूबर तक अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो गन्ना किसान इसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे. इसके बाद सरकार ने फैसला वापस ले ल‍िया. महाराष्ट्र में बारिश की कमी के कारण गन्ना उपज में आयी गिरावट, 20 फीसदी तक घट सकता है चीनी का उत्पादन

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अब क्या करेंगे क‍िसान? 

महाराष्ट्र के कुछ क‍िसान कर्नाटक में भी गन्ना बेच देते हैं. अब फसल की खराब स्थ‍ित‍ि के बाद जो हालात पैदा हुए हैं उसमें किसान उन चीनी मिलों को अपने गन्ने की बिक्री में प्राथमिकता देंगे जो ज्यादा दाम देंगी. महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी सूखे की वजह से गन्ना की फसल कमजोर है. ऐसे में उम्मीद है क‍ि वहां दाम ज्यादा म‍िलेगा. इसल‍िए सरकार अपनी राज्य की म‍िलों के ल‍िए बेचैन है. 

जहां तक महाराष्ट्र की बात है तो यहां एफआरपी यानी उचित और लाभकारी मूल्य लागू है, ज‍िसे केंद्र सरकार तय करती है. यह 2023-24 के ल‍िए 315 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. हालांक‍ि, यहां गन्ने की कटाई और ढुलाई का खर्च सरकार देती है. अब देखना ये है क‍ि राज्य के क‍िसान गन्ना कहां बेचते हैं और क्या यहां की म‍िलें उन्हें एफआरपी पर बोनस देंगी. 

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