लेटस के एक पत्तेदार सब्जी है. लेटस की खेती दूसरी सब्जियों की तरह पूरे भारत में उगाई जाती है. ये एक मुख्य विदेशी फसल है. इस की कच्ची पत्तियों को गाजर, मूली, चुकंदर व प्याज की तरह सलाद और सब्जी के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है. लेटस लाल और हरे रंग का होता है. इसका रंग इसकी वैरायटी पर निर्भर करता है. देश विदेश में लेटस की कई प्रजातियां पाई जाती है, जिनकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर रहे है. विश्व में चीन पत्तेदार सलाद का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. यह फसल मुख्य रूप से जाड़ों में उगाई जाती है.
अधिक ठंड में बहुत अच्छी पैदावार होती है और तेजी से बढ़ती है.पत्तेदार सलाद फसल को ज्यादातर व्यावसायिक रूप से पैदा करते हैं इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है इसका दाम भी अच्छा मिलता है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा लाभ ले सकते हैं. इसकी खेती सितंबर से लेकर नवंबर महीने में की जाती है खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान सही तरीके से लेटस की खेती कर कम लगत में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है.
लेटस का इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है. लेटस की पत्तियों की मांग बड़े-बड़े होटलों बहुत अधिक होती है. लेटस में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी, ए मुख्य मात्रा में पाया जाता है. जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर और कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है.
सलाद की फसल के लिए ठंडे मौसम की जलवायु सब से उत्तम होती है. ज्यादा तापमान होने पर बीज बनने लगता है और पत्तियों का स्वाद बदल जाता है, इसलिए इसका तापमान 12 से 15 डिग्री सेंटीग्रेट सही होता है. फसल के लिए उपजाऊ जमीन सब से अच्छी होती है. हलकी बलुई दोमट व मटियार दोमट मिट्टी सही होती है. जमीन में पानी रोकने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि नमी लगातार बनी रहे.
लेटस की खेती को सीधे बीज और नर्सरी तैयार कर किया जा सकता है. लेटस की फसल के लिए नर्सरी की बुवाई सितंबर से नवंबर महीने में की जाती है. लेटस की नर्सरी 5-6 सप्ताह में तैयार हो जाती है. पहाड़ियों में इसकी रोपाई फरवरी से जून तक की जाती है.
चेपा : यदि रस चूसने वाले कीड़े जैसे कि चेपा का हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें. धब्बा और चितकबरा रोग : धब्बा रोग की प्रतिरोधक किस्म का प्रयोग करें. चितकबरा रोग बीज से पैदा होने वाली बीमारी है इसलिए पत्ता सलाद की खेती के लिए इस बीमारी से रहित बीजों का प्रयोग करें.
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जब पत्ता पूरी तरह से विकसित हो जाता है और बिक्री आकार तक पहुंच जाता है तब इस फसल की कटाई की जाती है. नर्म पत्तियों को एक सप्ताह के अंतराल के बाद काटा जा सकता है. मार्च के अंत और अप्रैल के शुरू में फसल की कटाई बंद कर देनी चाहिए, इसके पत्ते दुधिया अवस्था में आ जाते हैं.
जमीन की 2-3 बार मिट्टी पलटने वाले हल या 3-4 देशी हल या ट्रैक्टर से जुताई करनी चाहिए. खेत को ढेलेरहित कर के भुरभुरा कर लेना अच्छा है. हर जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए. सलाद के लिए खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद 15-20 ट्राली प्रति हेक्टेयर डाल कर मिट्टी में मिला देनी चाहिए. कैमिकल उर्वरकों का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए. नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, 60 किलोग्राम फास्फेट और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.
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