आंध्र प्रदेश का कुरनूल जिला प्याज की खेती के लिए काफी प्रसिद्ध है. प्याज उत्पादन के मामले में यह जिला देश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन इस बार यहां के प्याज किसान चिंतित हैं. दरअसल, कुरनूल के व्यापारी कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश और अन्य देशों में प्याज एक्सपोर्ट करते थे. लेकिन अब पहले जैसा निर्यात नहीं रह गया है, जिसके कारण किसानों में चिंता है. वर्तमान में कुरनूल जिले के किसान 35,000 एकड़ से ज्यादा रकबे में प्याज की खेती कर रहे हैं, जबकि पहले यहां एक लाख एकड़ जमीन पर प्याज की खेती होती थी.
'न्यूज़ 18' की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में प्याज के सही दाम नहीं मिलने के कारण किसान भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. कई किसान लागत निकालने में भी नाकाम हैं, जिसके चलते मजदूरों को भुगतान करने में भी दिक्कत आ रही है. ऐसे में कई किसान अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. प्याज की खेती में प्रति एकड़ करीब 70,000 से 80,000 रुपये लगाने वाले किसानों को पर्याप्त समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है. पिछली बार प्याज की कीमत प्रति क्विंटल कीमत 500 से 1500 रुपये के बीच थी.
पिछले पांच सालों में प्याज की गिरती कीमतों से परेशान किसान अब प्याज की खेती से दूरी बना रहे हैं. यही कारण है कि प्याज की खेती का रकबा एक लाख एकड़ से घटकर सिर्फ 35,000 एकड़ रह गया है. हालांकि, पिछले पांच साल के भाव के मुकाबले इस बार कीमत बेहतर है, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान से किसान मुसीबत में हैं.
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किसानों का कहना है कि उनकी आधी से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है. ऐसे में बाढ़ प्रभावित किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इस बार बाजार में प्याज की मौजूदा कीमतें 3000 से 3700 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं. इतने दाम में लागत की भरपाई नहीं हो सकेगी. यही वजह है कि किसान सरकार से प्याज पर 4000 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने और निर्यात को सुविधाजनक बनाने की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि देश में प्याज की खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होती है और यहीं सबसे ज्यादा पैदावार होती है. वहीं, प्याज के उत्पादन में कुरनूल जिला दूसरे नंबर पर आता है. इस बार कुरनूल में प्याज की खेती मुख्य रूप से जिले के पश्चिमी इलाके एमिगनूर, गोनेगंडला, कोसिगी, पेद्दाकाडाबुर, कौथलम, मंत्रालयम, पट्टीकोंडा, असपारी और नंदवरम मंडल में की जा रही है.