चाय का नाम सुनते ही सबसे पहले लोगों के जेहन में पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग और असम का नाम उभर कर सामने आता है. लोगों को लगता है कि भारत में चाय की खेती केवल इन्हीं दोनों राज्यों में होती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. बिहार में भी किसान बड़े स्तर पर चाय की खेती करते हैं. यहां के किशनगंज जिले में किसान करीब 50 हजार एकड़ में चाय की खेती करते हैं, जिसकी सप्लाई पूरे देश में होती है.
खास बात यह है कि अब किशनगंज के अलावा दूसरे जिलों में भी किसान चाय की खेती करने लगे हैं. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी कड़ी में बिहार सरकार ने प्रदेश में चाय के रकबे को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है. अगर किसान सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक, चाय विकास योजना के तहत सरकार ने प्रदेश में चाय के रकबे को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया है. अभी सिर्फ किशनगंज जिले के ही चाय उत्पादक किसान योजना का लाभ उठा सकते हैं. सरकार चाय की खेती करने पर किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी. वहीं, बिहार सरकार का मानना है कि अगर जिले के किसान चाय की खेती करते हैं, तो उनकी इनकम बढ़ जाएगी, क्योंकि इसकी मांग देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है.
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बता दें कि किशनगंज जिला को टी सिटी के रूप में भी जाना जाता है. इस जिले की सीमा नेपाल, बंग्लादेश और पश्चिम बंगाल से लगती है. जिले के ठाकुरगंज, पोठिया, बहादुरगंज, किशनगंज और दिघलबैंक प्रखंड में किसान सबसे अधिक चाय की खेती करते हैं. जिले में किसान करीब 50 हजार एकड़ में चाय उगाते हैं, जिसकी क्वालिटी बहुत अच्छी मानी जाती है. जिले में करीब 5 हजार किसान चाय की खेती से जुड़े हुए हैं. बिहार टी प्लांटर्स एसोसिएशन के मुताबिक, किशनगंज जिले में हर साल लगभग 1.50 मीट्रिक टन चाय की हरी पत्तियों का उत्पादन होता है. प्रोसेसिंग के बाद इससे 33,000 मीट्रिक टन चाय का प्रोडक्शन होता है.
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