कम पानी में पैदा होने वाली धान की 12 किस्में विकसित करने में सफलता मिली, रोपाई की जगह सीधे बीज की बुवाई होगी

कम पानी में पैदा होने वाली धान की 12 किस्में विकसित करने में सफलता मिली, रोपाई की जगह सीधे बीज की बुवाई होगी

धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता है. लेकिन, अब निजी कंपनी ने धान की 12 किस्मों को विकसित किया है, जो कम पानी में अच्छी उपज देने में सक्षम हैं. खास बात यह है कि इन्हें रोपने की बजाय सीधे खेत में बीज के रूप बोया जा सकता है.

नई किस्म की धान को रोपने की बजाय सीधे बीज को बोया जा सकता है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 04, 2024,
  • Updated Apr 04, 2024, 12:52 PM IST

धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता है. लेकिन, बीते कुछ वर्षों में ज्यादातर राज्यों में तेजी से भूजल स्तर नीचे जा रहा है. खासकर पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ राज्यों में. इनमें सबसे ज्यादा धान की फसल की बुवाई भी होती है. जलसंकट को ध्यान में रखते हुए किसानों के कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी किसानक्राफ्ट ने धान की 12 किस्मों को विकसित किया है, जो कम पानी में अच्छी उपज देने में सक्षम हैं. खास बात यह है कि इन्हें सीधे खेत में बीज के रूप बोया जा सकता है. यानी इन किस्मों में पौधे की रोपाई की जरूरत नहीं होगी और धान की नर्सरी में खर्च होने वाले अतिरिक्त समय, पानी और लागत से बचा जा सकता है. 

रोपाई की बजाय सीधे खेत में बोई जा सकेंगी 12 नई किस्में 

बेंगलुरु स्थित कृषि फर्म किसानक्राफ्ट ने धान की 12 नई किस्में विकसित की हैं जो सीधे बीज बुवाई वाले चावल (Direst Seeded Rice) की खेती के लिए उपयुक्त हैं. इन्हें उगाने के लिए कम पानी का इस्तेमाल होता है. बता दें कि किसानक्राफ्ट छोटे और मंझोले किसानों के लिए इंटरकल्टीवेटर और हार्वेस्टर जैसे किफायती कृषि उपकरण बनाती है. कंपनी ने कुछ साल पहले बीज अनुसंधान और विकास में भी तेजी दिखाई है. अब उसने धान की 12 किस्में विकसित कर एग्री सेक्टर में तहलका मचा दिया है. 

7 साल से बीज विकसित करने में जुटी है कंपनी 

रिपोर्ट के अनुसार किसानक्राफ्ट के अध्यक्ष रवींद्र अग्रवाल ने कहा कि हम 2017 से खेती की सीधे बुवाई वाले बीज यानी डीएसआर विधि के लिए चावल की किस्मों को विकसित करने पर फोकस किया है. हमारा ध्यान उन किस्मों के प्रजनन पर है जो बदलते जलवायु पैटर्न के लिए उपयुक्त हैं. हमने धान की इन 12 डीएसआर किस्मों को विकसित करने के लिए देशभर से धान की लगभग 175 किस्मों की जांच की है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कंपनी ने चालू ग्रीष्मकालीन फसल सीजन में कर्नाटक के 3 स्थानों पर इन डीएसआर धान किस्मों का परीक्षण शुरू किया है.

14 राज्यों के 40 स्थानों पर नई किस्मों का परीक्षण होगा 

रवींद्र अग्रवाल ने कहा कि हम आगामी खरीफ 2024 फसल सीजन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित लगभग 14 प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में 40 स्थानों पर 12 डीएसआर चावल की किस्मों का परीक्षण करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानक्राफ्ट का लक्ष्य 2025 के खरीफ सीजन में इन डीएसआर चावल किस्मों का व्यावसायीकरण करना है. हमारी डीएसआर किस्में बारीक दाने, मध्यम पतली और मोटी किस्मों का मिश्रण हैं. इनकी पैदावार औसत से बेहतर है और उच्च उपज देने वाली किस्मों के बराबर है, जो प्रति एकड़ 22 से 25 क्विंटल के बीच है. 

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