कश्मीर में सेब की थोक मंडियों में कीमतें पिछले कुछ समय से लगातार गिर रही हैं, लेकिन उच्च घनत्व वाली किस्मों जैसे गाला सेब की कीमतें मजबूत बनी हुई हैं. देशभर में बढ़ती मांग के कारण किसान गाला सेब से अच्छी कमाई कर रहे हैं. जम्मू-सुंदरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के लंबे समय तक बंद रहने की वजह से कश्मीर से सेब बाहर भेजने में देरी हुई. इस कारण सेब खराब हो गया और मंडियों में फल की आपूर्ति एक साथ बढ़ने से कीमतें गिर गईं. पारंपरिक किस्में जैसे कुल्लू डिलीशियस के दाम 30 से 60 रुपये प्रति किलो तक गिर गए, जबकि गाला सेब के दाम 100 से 130 रुपये प्रति किलो तक बने हुए हैं.
गाला सेब की मांग इसलिए ज्यादा है क्योंकि इसका स्वाद मीठा, टेक्सचर कुरकुरा और रंग आकर्षक होता है. उपभोक्ता इसे पसंद कर रहे हैं, इसलिए इसकी कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं आई. गाला सेब एक जल्दी पकने वाली किस्म है और इसका सीजन भी लगभग खत्म हो चुका है.
कश्मीर सालाना करीब 20-25 लाख टन सेब पैदा करता है, जिसमें से करीब 5% गाला जैसी उच्च घनत्व वाली किस्में होती हैं. इनसेब का कुछ हिस्सा नियंत्रित वातावरण में संग्रहित भी किया जाता है ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे.
पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर के कई किसान, खासकर दक्षिणी जिलों के, पारंपरिक सेब की खेती छोड़कर गाला जैसे उच्च घनत्व वाले सेब की ओर बढ़ रहे हैं. यह बदलती उपभोक्ता पसंद और बाजार की मांग का संकेत है.
कुल मिलाकर, कश्मीर के सेब बाजार में पारंपरिक किस्मों की कीमतें गिर रही हैं, लेकिन गाला सेब अपनी लोकप्रियता के कारण कीमतों में स्थिरता बनाए हुए है. यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रहा है और आने वाले समय में गाला जैसे सेबों की मांग और उत्पादन बढ़ने की संभावना है.
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