Farmer Protest: कर्नाटक में फिर भड़का गन्ना किसानों का आंदोलन, 3,500 रुपये प्रति टन एफआरपी की मांग पर अड़े

Farmer Protest: कर्नाटक में फिर भड़का गन्ना किसानों का आंदोलन, 3,500 रुपये प्रति टन एफआरपी की मांग पर अड़े

बेलगावी में समझौते के बाद अब बागलकोट के किसानों ने किया सड़क जाम. सरकार ने 3,300 रुपये प्रति टन एफआरपी तय किया था, लेकिन किसान रिकवरी दर की परवाह किए बिना अधिक दाम की मांग पर कायम हैं.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 13, 2025,
  • Updated Nov 13, 2025, 12:46 PM IST

कर्नाटक में गन्ना किसानों के आंदोलन का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी हाल में बेलगावी के किसानों का मुद्दा सुलझा है, लेकिन उसके ठीक बाद बागलकोट के गन्ना किसान भी रेट बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अभी हाल में 3,300 रुपये प्रति टन के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) की घोषणा की जिसके बाद बेलगावी जिले के गन्ना किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया. हालांकि, बागलकोट के गन्ना उगाने किसान रिकवरी दर की परवाह किए बिना 3,500 रुपये प्रति टन की मांग पर अड़े हुए हैं.

नौ दिनों की हड़ताल के बाद, सरकार ने 11.3% चीनी रिकवरी दर के आधार पर अधिकतम एफआरपी 3,300 रुपये प्रति टन तय किया. 10.3% रिकवरी वाले गन्ने के लिए, एफआरपी 3,200 रुपये प्रति टन निर्धारित किया गया है, जिसमें रिकवरी में प्रत्येक 0.1% की वृद्धि के लिए 1 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त शुल्क शामिल है. इस घोषणा के बाद, बेलगावी और अन्य जिलों के किसानों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली.

मुधोल के किसानों का विरोध प्रदर्शन

लेकिन मुधोल के किसानों ने बुधवार को अपना विरोध तेज कर दिया और 3,500 रुपये प्रति टन की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. इसी कड़ी में किसानों ने शिरोल के पास मुधोल-जामखंडी रोड को जाम कर दिया. नाकेबंदी के कारण कई घंटों तक ट्रैफिक रुका रहा. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा है कि सरकार जब तक एफआरपी में बदलाव नहीं करती है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. किसानों ने कहा कि आंदोलन जारी रखने की कसम खाई है.

कर्नाटक गन्ना (खरीद एवं आपूर्ति विनियमन) अधिनियम, 2013 के तहत, मिलों को खरीद के 14 दिनों के भीतर 3,200 रुपये प्रति टन का भुगतान करना होता है. बाकी 100 रुपये, जो सरकार और मिलों के जरिये बराबर-बराबर बांटे जाते हैं, छह महीने के भीतर चुकाने होते हैं. लेकिन बागलकोट के किसानों ने एफआरपी फॉर्मूले को खारिज कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि कीमतें किसानों और मिलों के बीच आपसी सहमति से तय होनी चाहिए.

रिकवरी दर को लेकर गतिरोध

बागलकोट की अधिकांश मिलों में चीनी की रिकवरी रेट 11.3% से कम है, जिससे वे वे पूरा एफआरपी के लिए पात्र नहीं हैं. केवल ईआईडी पैरी की नयनगेली मिल में सबसे अधिक रिकवरी 11.8% है. इसी मिल में रिकवरी सबसे अधिक है जहां के किसानों को पूरा पैसा मिलता है. बागलकोट जिले में 14 चीनी मिल हैं, जबकि विजयपुरा और बेलगावी में क्रमशः 10 और 29 चालू मिलें हैं.

एक किसान ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा, "हमारी मांग 3,500 रुपये प्रति टन है, चाहे रिकवरी कुछ भी हो. हम वसूली दरों पर आधारित एफआरपी के खिलाफ हैं. मिलों ने पिछले साल का बकाया या 2024-25 की दूसरी किस्त का भुगतान नहीं किया है. जब तक भुगतान नहीं हो जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा."

कर्नाटक ने 2024-25 में 42 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जिसमें से 30.7 लाख टन तीन जिलों बेलगावी (16.1 लाख टन), बागलकोट (11.3 लाख टन) और विजयपुरा (3.1 लाख टन) से आया. कुल 5.2 करोड़ टन गन्ने की पेराई की गई, जिससे औसत रिकवरी 8% रही.

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