केंद्र सरकार ने सरकार-से-सरकार (G2G) आधार पर सात देशों को 10.34 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दे दी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा बुधवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि शिपमेंट का प्रबंधन नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा. इसमें से सबसे ज्यादा 2.95 लाख मीट्रिक टन चावल फिलीपींस भेजा जाएगा. फिलीपींस दुनिया का 8वां सबसे बड़ा चावल उत्पादक है, जो वैश्विक चावल उत्पादन में 2.8 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. लेकिन उसे अपनी घरेलू खपत के लिए और चावल की जरूरत है. फिलीपींस में ही इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट है. जहां दुनिया के हर चावल वैज्ञानिक के काम करने की ख्वाहिश होती है. बहरहाल, अल नीनो के संभावित प्रभाव से चिंतित होकर फिलीपींस अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए चावल भंडार को बढ़ा रहा है.
केंद्र सरकार के मुताबिक कैमरून को 1.9 लाख टन, मलेशिया को 1.7 लाख टन, पश्चिमी अफ्रीका के देश कोट डिलवोइर को 1.42 लाख टन, गिनी गणराज्य को 1.42 लाख टन, नेपाल को 95,000 टन और ईस्ट अफ्रीका के देश सेशल्स को 800 टन चावल एक्सपोर्ट किया जाएगा. गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर अभी बैन है, लेकिन इन देशों के विशेष अनुरोध पर भारत सरकार इन्हें चावल दे रही है.
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भारत ने घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करने और बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिए 20 जुलाई से सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि तब सरकार ने कहा था कि एक्सपोर्ट बैन जरूर है लेकिन हम पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करेंगे. इसके अतिरिक्त, भारत अच्छे द्विपक्षीय संबंधों के कारण सिंगापुर को चावल की आपूर्ति करने पर सहमत हुआ है. खास बात यह है कि यह एक्सपोर्ट सहकारिता मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक्सपोर्ट कंपनी करेगी.
भारत ने उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया हुआ है. यही नहीं बासमती चावल के लिए प्रति टन 1200 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य फिक्स कर दिया है. टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर सितंबर 2022 से ही बैन है. इस साल के खरीफ सीजन के दौरान धान की फसल पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के खराब प्रभाव को लेकर चिंता के बाद ये प्रतिबंध लगाए गए हैं. जून में मॉनसून की देर से शुरुआत, जुलाई में अधिक बारिश और अगस्त में 32 प्रतिशत कम बारिश ने अर्थव्यवस्था पर उल्लेखनीय प्रभाव डाला है. देश की वार्षिक बरसात का लगभग 85 प्रतिशत दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के कारण होता है.
इस साल हरियाणा और पंजाब में जुलाई के दौरान भारी बारिश से धान की फसल प्रभावित हुई थी. जबकि, अगस्त में लंबे समय तक सूखा पड़ने से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में फसल प्रभावित हुई है. इस बीच केंद्र ने कहा है कि साल 2022-23 के दौरान चावल का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 1357.55 लाख टन पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 62.84 लाख टन अधिक है.
इस बीच निर्यातकों के निकाय ने अपने सदस्यों के साथ एपीडा और सहकारिता मंत्रालय जैसी संबंधित एजेंसियों और संगठनों की एक संयुक्त बैठक का प्रस्ताव रखा है. निर्यातक और मिलर्स प्रत्येक प्रमुख इकाई में हजारों श्रमिकों को रोजगार देते हैं, गैर-बासमती निर्यात पर मौजूदा निर्यात प्रतिबंध लाखों श्रमिकों को प्रभावित कर रहा है.
उद्योग निकाय ने यह भी कहा है कि उसके सदस्यों ने पिछले पांच वर्षों में लगातार औसतन 10 मिलियन टन सालाना निर्यात किया है, जबकि सहकारी समितियां, सामूहिक रूप से, सालाना 10,000 टन भी हासिल नहीं कर पाई हैं. बासमती एक्सपोर्टरों भी परेशान हैं क्योंकि 1200 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य फिक्स करने की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है.
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