आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर गेहूं की खेती में ये 65 दिन का नियम क्या है जिसके बारे में आगाह किया जा रहा है. तो जान लें कि हर फसल की खेती का एक खास स्टेज होता है. यह स्टेज बताता है कि किस फसल में कब फूल, कब फल आदि लगेंगे. किसानों को इस स्टेज पर फोकस करते हुए अपनी फसल का ध्यान रखना होता है. फिर इसी ध्यान के आधार पर किसान को फसल की उपज मिलती है. गेहूं के साथ भी यही नियम लागू होता है. दरअसल, गेहूं में 65 दिन पर बालियां लगनी शुरू हो जाती हैं. गेहूं के लिए यह स्टेज सबसे अहम होता है क्योंकि इस वक्त कोई गड़बड़ी हो जाए तो किसान की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
ऐसे में आपको अपनी फसल का 65 दिन जरूर याद रखना है और उस पर ध्यान रखना है. अगर 65 दिन बीतने के बाद भी गेहूं में बालियां नहीं आती हैं तो कृषि एक्सपर्ट से संपर्क कर जरूरी खाद का इस्तेमाल करें और पोषक तत्वों की कमी दूर करें.
अगर 65 दिन बीतने के बाद गेहूं में बालियां तो आती हैं, लेकिन बालियां स्वस्थ न हों, उसमें दाने का फुटवार सही न हो तो जरूरी खादों का इस्तेमाल कर इस मर्ज को ठीक करें. अगर ऐसा नहीं करते हैं, अगर इसमें जरा भी चूक करते हैं तो पूरी की पूरी पैदावार मारी जा सकती है. ऐसे में फसलों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि सही समय पर सही सिंचाई करने कि जरूरत है.
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पूरे फसल चक्र के दौरान गेहूं को चार से छह सिंचाई की आवश्यकता होती है. यदि मिट्टी भारी है तो उसे चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और यदि मिट्टी हल्की है तो उसे छह बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. गेहूं की छह अवस्थाएं होती हैं जिनमें सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है. इन परिस्थितियों के अनुसार ही गेहूं की सिंचाई करनी चाहिए. आइए जानते हैं ये छह चरण क्या हैं और गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करनी चाहिए.