
महाराष्ट्र में बेमौसमी बारिश से जहां बाकी किसानों को नुकसान हुआ है तो वहीं हल्दी के किसानों के लिए यह बारिश उम्मीद की एक किरण बनकर आई है. यह सीजन उनके लिए फायदे का सौदा बनकर आया है. इस साल ‘गोल्डन स्पाइस’ यानी हल्दी उन कुछ फसलों में शामिल है जिन पर मौसम का असर सबसे कम पड़ा है. उत्पादक एक बेहतरीन पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं. आपको बता दें कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. राज्य में पिछले दो सालों से बाजार में हल्दी की कीमतें मजबूत बनी हुई हैं. इसकी वजह से महाराष्ट्र में इसकी खेती का रकबा लगातार बढ़ा है.
हल्दी की बुवाई आमतौर पर प्री-मॉनसून बारिश के बाद शुरू होती है. फसल करीब सात से नौ महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. साल 2024-25 के लिए, राज्य के अग्रिम अनुमानों के अनुसार, हल्दी की खेती 77,992 हेक्टेयर में होने की उम्मीद है. यह भारत के कुल क्षेत्रफल का 26 प्रतिशत है जबकि उत्पादन 2,90,137 मीट्रिक टन रहने का अनुमान लगाया गया है. यह राष्ट्रीय उत्पादन का करीब 25 प्रतिशत है. सांगली को राज्य के हल्दी सेंटर का दर्जा मिला हुआ है. यहां पर महाराष्ट्र की करीब 70 फीसदी फसल का उत्पादन होता है. यहां के किसानों की मानें तो इस मौसम में रकबा बढ़ा है. उन्हें उम्मीद है कि महाराष्ट्र में खेती का रकबा 85,148 हेक्टेयर को पार कर जाएगा और साल 2023-24 की बराबरी कर लेगा.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल देशभर में हल्दी की खेती का कुल क्षेत्रफल तीन लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है. साल 2024–25 में यह क्षेत्रफल 2,90,939 हेक्टेयर था. भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023–24 में देश में हल्दी का कुल उत्पादन 10,63,224 मीट्रिक टन रहा था. वहीं 2024–25 के लिए शुरुआती अनुमान 11,16,124 मीट्रिक टन लगाए गए हैं. यह वृद्धि स्थिर बाजार भाव और प्रमुख क्षेत्रों में अनुकूल मौसम के कारण संभव हुई है. महाराष्ट्र के साथ-साथ तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और मध्य प्रदेश भी हल्दी उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य हैं.
भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश बना हुआ है. देश में हल्दी का कुल उत्पादन विश्व के उत्पादन का करीब 80 फीसदी है. भारत के बाद 8 फीसदी के साथ चीन, 4 फीसदी म्यांमार, 3 फीसदी नाइजीरिया, और 3 फीसदी के साथ बांग्लादेश का नंबर है. सांगली के किसानों का कहना है कि बाजार का माहौल भी सकारात्मक बना हुआ है. किसानों की मानें तो दो महीने के अंदर नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी लेकिन कीमतें स्थिर रहने की संभावना है. नई आवक के बाद भी, कीमतों में भारी गिरावट आने की संभावना नहीं है.
हाल के महीनों में, महाराष्ट्र के एपीएमसी बाजारों में हल्दी की अधिकतम कीमत 23,000 रुपये प्रति क्विंटल, न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति क्विंटल और मॉडल कीमतें 12,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दर्ज की गई हैं. अखबार बिजनेसलाइन ने विशेषज्ञ दीपक चव्हाण के हवाले से बताया है कि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में 34.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर कीमत की 1.76 लाख टन हल्दी का निर्यात किया. महाराष्ट्र का निर्यात 15.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर या कुल निर्यात मूल्य का 45 फीसदी रहा. साल 2024 में वैश्विक हल्दी निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत रही, जिससे अंतरराष्ट्रीय मसाला व्यापार में देश का प्रभुत्व मजबूत हुआ.
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