खाली खेत में करें इस फसल की खेती, कम निवेश में कमाएं ज्यादा मुनाफा

खाली खेत में करें इस फसल की खेती, कम निवेश में कमाएं ज्यादा मुनाफा

धान कटने के बाद खाली खेतों में खेसारी की उतेरा विधि से खेती कर साल में दो फसलें उगाएँ और अपनी आमदनी बढ़ाएँ. जानिए नई किस्में, बुवाई का सही समय, खाद-उर्वरक और आसान खेती के टिप्स.

धान की कटाई के बाद करें इस फसल की खेतीधान की कटाई के बाद करें इस फसल की खेती
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Nov 02, 2025,
  • Updated Nov 02, 2025, 1:35 PM IST

धान की कटाई के बाद कई किसान अपने खेत खाली छोड़ देते हैं. इससे सालभर की कमाई का मौका हाथ से निकल जाता है. लेकिन अब किसान खेसारी की फसल उगाकर खाली खेतों से भी पैसा कमा सकते हैं. यह फसल खासकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है.

खेसारी की खासियत

खेसारी की सबसे बड़ी बात यह है कि यह मुश्किल मौसम में भी अच्छी पैदावार देती है. पहले खरीफ में केवल धान ही उगता था और रबी में खेत खाली रहते थे. अब धान कटने से पहले ही खेसारी के बीज बोकर किसान साल में दो या अधिक फसलें उगा सकते हैं और ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं.

खेसारी का उपयोग और नई किस्में

खेसारी का इस्तेमाल दाल बनाने, हरी सब्जी बनाने और पशुओं के चारे के लिए किया जाता है. पहले इसमें हानिकारक तत्व होता था, लेकिन अब नई सुरक्षित किस्मों के आने से यह फसल लाभकारी हो गई है.

नई किस्में:

  • रतन: 105-115 दिन में तैयार
  • प्रतीक: 110-115 दिन में तैयार
  • महातिवड़ा: जल्दी पकने वाली, 95-105 दिन
  • निर्मल: 105-110 दिन में तैयार
  • पूसा: 110-115 दिन में तैयार

ये नई किस्में ज्यादा उपज देती हैं और सुरक्षित हैं.

उतेरा विधि क्या है?

‘उतेरा’ या ‘पैरा’ खेती एक तरीका है जिससे किसान एक ही खेत में साल में दो या अधिक फसलें उगा सकते हैं. इसमें धान कटने से 15-20 दिन पहले खेसारी के बीज खेत में बो दिए जाते हैं.
धान कटने के बाद खेत में बची नमी खेसारी के लिए काफी रहती है. इस विधि से अलग से पानी देने की जरूरत कम होती है और खर्च भी बचता है.

खेत का चुनाव और बुवाई का समय

  • भारी मिट्टी वाले खेत खेसारी के लिए अच्छे हैं.
  • बुवाई का समय: धान कटने से 15-20 दिन पहले, यानी 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक.
  • प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 30-32 किलो.
  • अगर खेत में ज्यादा पानी है तो निकाल दें, वरना बीज सड़ सकते हैं.

खाद और उर्वरक

खेसारी खेत में बची नमी और मिट्टी के पोषक तत्वों से अच्छी तरह उगती है. फिर भी अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़:

  • नाइट्रोजन: 8 किलो
  • फास्फोरस: 20 किलो
  • पोटाश: 12 किलो
  • सल्फर: 8 किलो

साथ में पत्तों पर दो बार छिड़काव करें, इससे फसल अच्छी तरह बढ़ती है.

धान की खेती में लागत और मुनाफा

  • प्रति एकड़ लागत: 6,000-7,300 रुपए
  • प्रति एकड़ उपज: 5-5.5 क्विंटल
  • बाजार भाव 4,000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से, शुद्ध मुनाफा: 13,000-15,000 रुपए

कम निवेश में अधिक लाभ

धान कटने के बाद खाली खेतों में खेसारी उगाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. नई किस्मों और उतेरा विधि से कम मेहनत और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा मिलता है. यह फसल किसानों के लिए सुरक्षित, लाभकारी और आसान विकल्प है.

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