Pea Disease: किसानों को परेशान नहीं करेगा मटर के पौधे का बौनापन, कृषि वैज्ञानिकों ने बीमारी का पता लगाया

Pea Disease: किसानों को परेशान नहीं करेगा मटर के पौधे का बौनापन, कृषि वैज्ञानिकों ने बीमारी का पता लगाया

किसानों के लिए ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण मटर उत्पादन में संकट बन रही बीमारी का कारण पता चल गया है. दरअसल, बीते कुछ समय से मटर के पौधों में बौनापन और उनका झाड़ीदार हो जाने की बीमारी का पता चला था. इससे पौधे का विकास रुक जाता था और किसानों की उपज में भारी गिरावट आ रही थी.

कृषि वैज्ञानिकों ने मटर में बीमारी का पता लगाया.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 26, 2024,
  • Updated Mar 26, 2024, 4:00 PM IST

किसानों के लिए ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण मटर उत्पादन में संकट बन रही बीमारी का कारण पता चल गया है. दरअसल, बीते कुछ समय से मटर के पौधों में बौनापन और उनका झाड़ीदार हो जाने की बीमारी का पता चला था. इससे पौधे का विकास रुक जाता था और किसानों की उपज कम हो जाती है. इस बीमारी का कारण कृषि वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है और अब इसके इलाज में जुट गए हैं. भारतीय कृषि वैज्ञानिकों की यह खोज अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित की गई है. 

अमेरिकन प्लांट डिजीज जर्नल में मिली जगह 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों ने मटर की नई बीमारी और इसके कारक जीवाणु कैंडिडैटस फाइटोप्लाज्मा एस्टेरिस (16 एसआर 1) की खोज की है. पौधों में नई बीमारी को मान्यता देने वाली अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी (एपीएस) द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित जर्नल प्लांट डिजीज में वैज्ञानिकों की इस नई बीमारी की रिपोर्ट को प्रथम शोध रिपोर्ट के रूप में मान्यता दी गई है.  बता दें कि यह जर्नल पौधों की बीमारियों के अध्ययन के लिए सबसे पुराने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठनों में से एक है जो पौधों की बिमारियों और उनके इलाज के शोध प्रकाशित करती है.

रोग नियंत्रण पर काम शुरू कर रहे कृषि वैज्ञानिक 

दावा किया गया कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिक दुनिया में इस बीमारी की खोज करने वाले सबसे पहले वैज्ञानिक हैं. इन वैज्ञानिकों ने फाइटोप्लाज्मा मटर में बीमारी पर शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीआर काम्बोज ने वैज्ञानिकों की इस खोज के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि बदलते कृषि माहौल में विभिन्न फसलों में उभरते खतरों की समय पर पहचान जरूरी बन गई है. उन्होंने वैज्ञानिकों से बीमारी के आगे प्रसार पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों को रोग नियंत्रण पर जल्द से जल्द काम शुरू करने को कहा है. 

वर्ष 2023 में मटर की फसल में दिखी थी बीमारी 

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बताया कि पहली बार फरवरी-2023 में सेन्ट्रल स्टेट फार्म हिसार में मटर की फसल में नई तरह की बीमारी दिखाई दी थी, जिसमें मटर के 10 प्रतिशत पौधे बौने और झाड़ीदार हो गए थे. वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के बाद इस बीमारी के कारक कैंडिडैटस फाइटोप्लाज्मा एस्टेरिस (16 एसआर1) का पता लगाय है. उन्होंने कहा कि बीमारी की जल्द पहचान से इसे रोकने और प्रजनन कार्यक्रम विकसित करने में मदद मिलेगी. कहा गया कि कई रूपात्मक, आणविक और रोगजनकता परीक्षणों के आधार पर हम यह साबित करने में कामयाब रहे कि एक जीवाणु कैंडिडैटस फाइटोप्लाज्मा एस्टेरिस (16 एसआर 1) इस बीमारी का कारक है. इस रोग से ग्रसित मटर के पौधे बौने और झाड़ीदार हो जाते हैं.

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