
हरियाणा में धान घोटाले के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है. धांधली में शामिल चावल मिलों पर रोज कोई न कोई एक्शन लिया जा रहा है. इसमें हैफेड और सीएम फ्लाइंग स्क्वायड की संयुक्त छापेमारी चल रही है. मंगलवार को एक ताजा घटना में संयुक्त टीम ने फिजिकल वेरिफिकेशन के दौरान लगभग 25,000 क्विंटल धान की कमी पाए जाने के बाद करनाल के असंध ब्लॉक की दो और चावल मिलों को जांच के घेरे में ले लिया.
हैफेड के जिला प्रबंधक (डीएम) कृपाल दास ने दोनों मिलों के खिलाफ असंध पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. समाचार लिखे जाने तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था.
इस बीच, हैफेड के दो कर्मचारियों - फील्ड इंस्पेक्टर-कम-स्टोर कीपर अशोक कुमार और सीनियर मैनेजर सुरिंदर कुमार - को धांधली में कथित तौर पर शामिल पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया है.
इससे पहले, 5 नवंबर को तत्कालीन डीएम अमित शर्मा को हैफेड के प्रबंध निदेशक ने निलंबित कर दिया था. उस घटना में 4 नवंबर को राधे राधे राइस मिल और अग्रवाल राइस मिल में वेरिफिकेशन के दौरान गड़बड़ी सामने आई थी. इसमें क्रमशः 15,500 क्विंटल और 8,910 क्विंटल धान की कमी पाई गई थी.
बाद में नवनियुक्त डीएम कृपाल दास की देखरेख में फिर से वेरिफिकेशन का आदेश दिया गया, जिन्होंने निष्कर्षों की पुष्टि की.
दास ने कहा, "सीएम फ्लाइंग स्क्वायड ने 5 नवंबर को पूरे मामले की जांच और कंफर्मेशन के लिए राधे राधे राइस मिल का फिर से फिजिकल वेरिफिकेशन किया, जिसमें उसी कमी की पुष्टि हुई. मैंने दोनों मिल मालिकों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज कराई है."
अधिकारियों को संदेह है कि "प्रॉक्सी खरीद" की गई हो सकती है. - प्रॉक्सी खरीद में ऐसी धान खरीद दिखाने के लिए फर्जी एंट्री की जाती है जो कभी हुई ही नहीं. दास ने कहा, "केवल पुलिस जांच ही सच्चाई का खुलासा कर सकती है."
इस घटना की पुष्टि करते हुए करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने कहा, "हमें शिकायत मिली है और उचित कार्रवाई की जाएगी."
धान खरीद में धांधली के संबंध में अब तक करनाल जिले में तीन मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें दो मार्केट कमेटी सचिव (करनाल और तरौरी से), एक राइस मिलर और पांच खरीद अधिकारी शामिल हैं. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस टीमें आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही हैं.
शुरुआती जांच से पता चलता है कि धान की ऐसी आवक दिखाने के लिए फर्जी खरीद एंट्री बनाई गईं जो अनाज मंडियों तक पहुंची ही नहीं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ.
मामलों की जांच के लिए एक डीएसपी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया है. इसमें सीआईए-2 के सदस्य, संबंधित थानों की पुलिस और साइबर एक्सपर्ट शामिल हैं. एक अधिकारी ने कहा, "एसआईटी जल्द से जल्द इस साठगांठ का पर्दाफाश करेगी."
जांच अधिकारी "धान घोटाले" के पूरे मामले का पता लगा रहे हैं. मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों के रजिस्ट्रेशन से लेकर गेट पास जारी करने और कथित फर्जी आवक के लिए भुगतान तक की जांच की जा रही है. जांच का मकसद उन कमीशन एजेंटों, खरीद एजेंसियों और चावल मिलों की भी पहचान करना है जिनकी इस रैकेट में भूमिका हो सकती है.