
चना, सूरजमुखी और याबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. अब उनकी उपज की खरीद मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) पर की जाएगी. इसकी जानकारी खुद कर्टनाक के कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने दी है. उन्होंने कहा है कि कृषि उपज एवं विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के लागू होने से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. अब किसानों के साथ व्यापारी मनमानी नहीं कर रहे हैं. किसानों को मार्केट में उनकी फसल का उचित रेट मिल रहा है. इससे उनकी कमाई में बढ़ोतरी हो रही है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा है कि हरा चना, सूरजमुखी, सोयाबीन और काला चना की खरीद समर्थन मूल्य योजना के तहत की जाएगी. उन्होंने कहा सोयाबीन और काला चना की खरीद शुरू करने के लिए 5 सितंबर को एक आदेश जारी किया गया था. सरकार ने समर्थन मूल्य पर दालों और सूरजमुखी के बीज खरीदने के लिए पहले ही एजेंसियों की नियुक्ति कर दी है. प्रत्येक किसान से अधिकतम 15 क्विंटल सूरजमुखी के बीज और 10 क्विंटल हरा चना खरीदा जाएगा. गुणवत्ता वाले सोयाबीन की कीमत 4,892 प्रति क्विंटल और लंबे दाने वाले सोयाबीन की कीमत 7,400 प्रति क्विंटल तय की गई है.
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उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य पर करीब 10 लाख क्विंटल सोयाबीन और दो लाख क्विंटल उड़द की खरीद की जाएगी. उन्होंने बताया कि 2024-25 में 4.1 लाख हेक्टेयर से 4.72 लाख टन सोयाबीन और 0.77 लाख हेक्टेयर से 0.4 लाख टन उड़द की उपज होने की उम्मीद है. शिवानंद पाटिल ने कहा कि औसत गुणवत्ता वाले सूरजमुखी के बीजों के लिए प्रति क्विंटल क्रमश: 8,682 रुपये और 7,280 रुपये समर्थन मूल्य तय किया गया है. मूंग की खरीद के लिए कुल 172 केंद्रों की पहचान की गई है और 1,982 किसानों ने पंजीकरण कराया है.
वहीं, सूरजमुखी के बीजों की खरीद के लिए कुल 19 केंद्र बनाए गए हैं और 461 किसानों ने पंजीकरण कराया है. उन्होंने बताया कि पहली बार मिलिंग नारियल को समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है. उन्होंने कहा कि एपीएमसी की इनकम से एपीएमसी में 15 कोल्ड स्टोरेज खोले जाएंगे. इसके लिए 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि चार रेवेन्यू डिवीजन में प्रभागवार विजलेंस सेल का गठन किया गया है और इसके चलते एपीएमसी की इनकम में वृद्धि हुई है. साल 2024-25 में एपीएमसी को 400 करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष के पांच महीनों में पहले ही 133.15 करोड़ का कलेक्शन किया जा चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 77.42 करोड़ का कलेक्शन किया गया था.
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