देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. मेथी भी कुछ इसी तरह की फसल है. इसकी खेती से भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मेथी से दो तरीके से लाभ कमाया जा सकता है. मेथी को हरी अवस्था में इसके पत्तों को बेचकर और सूखी अवस्था में इसके दानो को बेचकर किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
मेथी की सब्जी बनाई जाती है जो शरीर के लिए गुणकारी होती है. बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहेती है. ऐसे में किसानों के लिए मेथी की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं. मेथी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है. खरीफ सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में किसान सही तरीके के इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
मेथी के बीजों को बुवाई से पहले आठ से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें और चार ग्राम थीरम, 50% कार्बेंडाजिम से रासायनिक उपचार या फिर गौ मूत्र का इस्तेमाल करके जैविक बीज उपचार सकते हैं. बता दें कि बीजोपचार के आठ घंटे बाद ही मेथी के बीजों को खेतों में लगाना चाहिए. खेतों में इसकी बुवाई छिड़काव या ड्रिल विधि से की जाती है. इसके लिए मिट्टी का पीएच मान छह से सात के बीच होना चाहिए. मेथी की बुवाई के लिए सितंबर माह सबसे उपयुक्त होता है. मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई के लिए सितंबर से लेकर मार्च का समय, जबकि पहाड़ी इलाकों में जुलाई से लेकर अगस्त तक का समय सबसे बढ़िया माना जाता है.
मेथी का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. मेथी के अधिक उत्पादन देने वाली किस्में पूसा कसूरी, आरएमटी 305, राजेंद्र क्रांति, ए.एफ.जी 2, हिसार सोनाली आदि हैं. इसके अलावा हिसार सुवर्णा, हिसार माध्वी, हिसार मुक्ता, ए.एएफ.जी 1, आर.एम.टी 1, आर.एम.टी 143, आर.एम.टी 303, पूसा अर्ली बंचिंग, लाम सेलेक्शन 1, को 1, एच.एम 103, आदि किस्में को भी मेथी की अच्छी किस्मों में गिना जाता है.
ये भी पढ़ें- Coriander Price: टमाटर ही नहीं धनिया का दाम भी आसमान पर, अच्छी कमाई से खुश हैं किसान
वैसे तो मेथी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. लेकिन इसकी बेहतर पैदावार के लिए अच्छे जल निकास वाली चिकनी मिट्टी अच्छी रहती है. मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए. वहीं मेथी की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु काफी अच्छी रहती है.
मेथी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. मेथी के बीजों के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है. इसलिए खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए.
ये भी पढ़ें- एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के खिलाफ बंद रहेंगी नासिक की प्याज मंडियां, गुस्से में किसान और व्यापारी
मेथी की फसल को तैयार होने के लिए 130 से 140 दिन का समय लग जाता है. जब इसके पौधों पर पत्तियां पीले रंग की दिखाई देने लगें तो तब इनकी कटाई कर लेनी चाहिए. फसल की कटाई के बाद इसके पौधों को धूप में अच्छे से सूखा लेना चाहिए. सूखी हुई फसल से मशीन की सहायता से दानों को निकल लें. एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 12 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है. मेथी के दानों का बाज़ार भाव 5 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल थोक के रूप में होता है. ऐसे में एक हेक्टेयर में भी मेथी की फसल लगाकर किसान बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकते हैं.