महाराष्ट्र में दलहन फसलों का एरिया पिछले साल के मुकाबले रिकॉर्ड 2.64 लाख हेक्टेयर कम हो गया है. जितनी फसल की बुवाई भी हुई है वो भी सूखे का सामना कर रही है. पानी की कमी के कारण सोलापुर जिले में किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसमें अरहर भी शामिल है. सोयाबीन, मक्का, प्याज आदि फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है. लेकिन सबसे ज्यादा चिंता दलहन फसलों को लेकर है. कृषि विभाग के एक सर्वे के मुताबिक करीब सात फसलों का नुकसान 50 फीसदी से ज्यादा होने की बात सामने आई है. इस बीच, यह रिपोर्ट फसल बीमा कंपनी को भेज दी गई है और मुआवजा देने के भी निर्देश दिए गए हैं. ऐसी जानकारी जिला कृषि अधीक्षक ने दी है.
सोलापुर जिला भी कम बारिश से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र में शामिल है. जिला कृषि अधीक्षक ने बताया कि पानी की कमी के कारण सोलापुर जिले में 50 प्रतिशत से अधिक फसलें खराब हो गई हैं. इस साल मॉनसून ने राज्य में देर से एंट्री की थी. पूरा जून का महीना सूखा बीता. जुलाई माह में थोड़ी सी बारिश हुई तो फसलों को जीवनदान मिल गया. हालांकि, अगस्त का महीना भी सूखा ही रहा. प्रदेश के 453 राजस्व मंडलों में 21 दिन से अधिक बारिश हुई है, जबकि 613 राजस्व मंडलों में 15 से 21 दिन तक बारिश नहीं हुई है. इसलिए इस क्षेत्र में फसलों की खराब हालत की तस्वीर सामने आ रही है.
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अगर अगले कुछ दिनों तक और बारिश नहीं हुई तो जो बची फसलें हैं वो भी सूख जाएंगी. राज्य में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण कई डैम लगभग सूख गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों का पानी भी सूख गया है. ऐसे में इंसानों के लिए पीने के पानी के साथ-साथ पशुओं के लिए भी पीने के पानी की समस्या हो रही है. चारे का भी संकट उत्पन्न हो गया है. बारिश कम होने के साथ ही परियोजना में जल भंडारण भी चिंता का विषय बनता जा रहा है. आखिर मॉनसून के सीजन में अगर इतना सूखा रहेगा तो आगे क्या हाल होगा.
मौसम विभाग के मुताबिक 1 जून से 14 सितंबर तक महाराष्ट्र में लगभग सामान्य बारिश है. सिर्फ 9 फीसदी की कमी है. लेकिन, कई जिलों में बहुत कम बारिश हुई है. मध्य महाराष्ट्र में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है. मराठवाड़ा में भी सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है. जबकि विदर्भ रीजन में बारिश सामान्य है.
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