बाजार में प्याज की गिरती कीमतों के कारण महाराष्ट्र के प्याज किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. इस समस्या का हल निकालने के लिए राज्य के पूर्व कृषि मार्केटिंग निदेशक सुनील पवार के नेतृत्व वाली एक समिति ने राज्य भर की सभी बाजार समितियों में प्याज के लिए ई-नीलामी शुरू करने की सिफारिश की है. जिसका उद्देश्य किसानों के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतें सुरक्षित करना और आगे के नुकसान को रोकना है. जब प्याज की फसल का मौसम शुरू होता है तब प्याज उत्पादक जिलों की मंडियों में आवक जरूरत से अधिक हो जाती है. भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण, किसानों को प्याज खराब होने से बचाने के लिए अपनी फसल तुरंत बेचना पड़ता है. व्यापारी इस मजबूरी का फायदा उठाते हैं. इसलिए किसानों को अक्सर अपनी उत्पादन लागत से कम कीमतों पर प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
सुनील पवार समिति केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) या ई-ट्रेडिंग योजना को लागू करने की तात्कालिकता पर जोर देती है. इससे पारदर्शी नीलामी होगी और किसानों के बैंक खातों में बिक्री का पैसा सीधे जमा करने की सुविधा मिलेगी, जिससे व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण कम होगा. यानी ऑफलाइन ट्रेड में किसानों का जो शोषण है वो ऑनलाइन ट्रेडिंग और ई-नीलामी से रुकने की संभावना व्यक्त की गई है.
वर्तमान में, राज्य की 118 बाजार समितियां ई-नाम से जुड़ी हुई हैं. प्याज के लेन-देन को शामिल करने के लिए इस प्रणाली का विस्तार करने से देश भर में मांग बढ़ेगी, कीमतें स्थिर होंगी और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी. इसके अलावा, समिति ने केंद्र सरकार से प्याज निर्यात नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया है. खासकर फसल के मौसम के दौरान, जरूरत से ज्यादा प्याज को सड़ने से रोकने और बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में निर्यात के अवसर तलाशने के लिए.
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इसके अतिरिक्त, समिति ने घरेलू बिक्री को प्रोत्साहित करने और कीमतें बढ़ाने, किसानों को राहत देने के लिए प्याज प्रोसेसिंग उद्योगों को प्रोत्साहित करने की सिफारिश किया है. प्याज किसान इन सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि 7 दिसंबर 2023 से देश में प्याज का एक्सपोर्ट बैन है, जिसकी वजह से किसानों की कमर टूट गई है. क्योंकि उन्हें किसी मंडी में एक तो किसी में सिर्फ दो रुपये किलो के दाम पर अपना प्याज बेचना पड़ रहा है.
केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल, 2016 को ऑनलाइन मंडी प्लेटफार्म ई-नाम (e-Nam) की शुरुआत की थी. इसका पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि बाजार है, जिससे देश की 1361 मंडियां जुड़ी हुई हैं. इस प्लेटफार्म से करीब 1.77 करोड़ किसान जुड़े हुए हैं. इस प्लेटफार्म के बनने के बाद किसान और खरीदार के बीच का सीधा संबंध और मजबूत हुआ है. इसका मकसद कृषि उपज के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है.
इसके बावजूद नेफेड जैसी कुछ सरकारी एजेंसियों के अधिकारी अब भी ऑफलाइन कारोबार को प्रमोट करने में जुटी हुई हैं, जबकि ऐसा करने से देश और किसानों को नुकसान पहुंच रहा है. ई-नाम 27 राज्यों में काम कर रहा है. इससे किसानों को अपनी कृषि उपज का कारोबार करने में बड़ी मदद मिल रही है.
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