मध्य प्रदेश के खरगोन में सोयाबीन की फसल सूखने से नाराज किसानों ने डीएम ऑफिस का घेराव किया. सोयाबीन की सूखी फसल लेकर किसान डीएम के कार्यालय पहुंच गए. लेकिन वहां डीएम के दफ्तर का गेट बंद देख किसानों का गुस्सा और बढ़ गया. किसानों ने डीएम कार्यालय का गेट खोला और अंदर घुस गए. डीएम कार्यालय का घेराव कर वहीं धरना डाल दिया. जिसके बाद झिरन्या के किसानों ने सोयाबीन की सूखी फसल मवेशियों को खिला दी. खरगोन जिले भर में सोयाबीन और कपास की फसल सूखने से नाराज बड़ी संख्या में किसान सोयाबीन की सूखी फसल लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे. डीएम परिसर का गेट बंद करने पर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा.
गुस्साए किसान नारेबाजी करते हुए गेट खोलकर डीएम कार्यालय के सामने पहुंच गए. बिजली अधिकारी व डीएम के खिलाफ नारेबाजी की गयी. बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे. पूरे जिले की बड़वाह, महेश्वर, झिरन्या, भीकनगांव और भगवानपुरा तहसीलों से किसान पहुंचे.
किसानों ने डीएम कार्यालय के सामने सरकार, पुलिस, प्रशासन और डीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसानों ने डीएम कार्यालय के सामने कई घंटे तक धरना दिया. जिला प्रशासन से 2 दिन का आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने शाम करीब 5 बजे अपना धरना समाप्त कर दिया.
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डीएम शिवराज सिंह वर्मा का कहना है सही है खरगोन जिला ही नहीं पूरे प्रदेश में अगस्त माह में बारिश बिल्कुल नहीं हुई. बहुत कम बारिश हुई है फसले खराब होने की जानकारी किसानों के माध्यम से मिली है. हमने भी कृषि विभाग और राजस्व विभाग की टीम को अलर्ट किया है और उनसे कहा है की वस्तु स्थिति पर नजर रखें और फील्ड पर जाकर देखें फसलों की क्या स्थिति है सर्व करें. जैसा की आशा व्यक्ति की जा रही है कि अगले एक-दो दिन में बारिश हो जिससे लोगों को राहत मिले. अगर बारिश नहीं भी होती है तो सिंचाई विभाग और एनवीडीए को कहा है कि आपके पास पानी की जो भी उपलब्धता है उसे किसानों को उपलब्ध कराएं.
किसान संघ जिला अध्यक्ष सदाशिव पाटीदार का कहना है विद्युत वितरण कंपनी द्वारा मनमाने तरीके से 7 घंटे बिजली देने का शेड्यूल बनाया गया है. हम सूचना देने के लिए ज्ञापन के माध्यम से यहां इकट्ठा हुए थे लेकिन सवाल यह उठता है कि हमारे आने से पहले कलेक्टर कार्यालय का गेट बंद कर दिया गया. इससे किसानों ने उग्र रूप धारण कर लिया और सभी किसान यहां पहुंच गए हैं. अभी डीएम साहब घर पर ही निवास कर रहे हैं और पता चला है कि वे निर्वाचन में व्यस्त है. हमारा कहना है कि जब वोट डालने वाले ही नहीं रहेंगे तो निर्वाचन किसके लिए होगा. विद्युत वितरण कंपनी के एक द्वारा कहा गया कि ये शेड्यूल ऊपर से तैयार किया गया है.