महाराष्ट्र के कई जिले इन दिनों सूखे का सामना कर रहे हैं. पर्याप्त बारिश के अभाव में बुवाई पिछड़ रही है. किसान इस असमंजस में हैं कि बुवाई (Sowing) करें या नहीं. खेत में अच्छी नमी न होने पर बीज का नुकसान हो सकता है और दोबारा बुवाई की नौबत आ सकती है. मॉनसून को शुरू हुए करीब एक महीना हो गया है, इसके बावजूद नांदेड़ जिले में अभी तक किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है. ताकि वो कपास, सोयाबीन और दूसरी फसलों की बुवाई पूरी कर सकें. यहां सामान्य से सिर्फ 56 फीसदी बारिश हुई है, नतीजा यह है कि अब तक खरीफ फसलों की सिर्फ 60 फीसदी ही बुआई हो सकी है.
किसानों को मॉनसून बारिश के लिए तरसा रहा है. यहां पिछले साल 12 जुलाई 2022 को भारी बारिश हुई थी. भारी बारिश के कारण जिले की गोदावरी, आसन, लेंडी और अन्य नदियां उफान पर थीं. लेकिन, इस साल हालात बदले हुए हैं. अब तक सिर्फ 140.70 एमएम यानी 56.28 फीसदी ही बारिश हुई है. इसलिए बुवाई ने रफ्तार नहीं पकड़ा है. किसान बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे है.
जिले के किसानों का कहना है कि पिछले आठ दिनों से उम्मीद के अनुसार बारिश नहीं हुई है. शुरुआत में हुई छिटपुट बारिश के बाद कुछ किसानों ने बुवाई कर दी थी. लेकिन, अब ऐसे किसानों की चिंता बढ़ गई है. उनके सामने अब दोबारा बीज पर पैसा खर्च करने की नौबत आ सकती है. बेमौसम बारिश के कारण पहले ही उनकी रबी सीजन की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिनका सर्वे होने के बावजूद अभी तक राहत राशि नहीं मिली है. इसलिए आगे के लिए किसानों की चिंता और बढ़ गई है.
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नांदेड़ 57 प्रतिशत, अर्धपुर 27 प्रतिशत, मुदखेड़ में 64 प्रतिशत, लोहा में 86 प्रतिशत, डेगलौर में 48, मुखेड़ में 75, नायगांव में 74, माहुर में 13 और हदगांव में 61 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है. नांदेड़ जिले में जून माह सूखा रहने के बाद जुलाई माह में भी अपेक्षित बारिश नहीं होने से चिंता और भी बढ़ रही है. जुलाई के दूसरे सप्ताह में कुछ जगहों पर हल्की बारिश हुई, लेकिन उसके बाद से मॉनसून जैसे रूठ गया.
चिंता वाली बात यह भी है कि इसका असर जल भंडारण पर भी पड़ रहा है. पर्याप्त बारिश न होने कारण नांदेड़ जिले में जल भंडारण की स्थिति गंभीर होती जा रही है. वर्तमान में केवल 28.63 प्रतिशत उपयोग योग्य जल भंडारण बचा है. हालात ऐसे ही रहे तो जिले में जलसंकट खड़ा हो सकता है.