
पिछले दिनों आए साइक्लोन ‘मोंथा’ ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कपास किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. साइक्लोन मोंथा की वजह से हुई तेज बारिश ने इन राज्यों के कई कपास उत्पादन जिलों को प्रभावित किया है. बारिश से धान, सोया और मक्का की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है. आपको बता दें कि ये वो राज्य हैं जहां के किसान पहले से ही बेमौसमी बारिश से परेशान थे. ऐसे में साइक्लोन मोंथा ने उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है.
तूफान की वजह हुई बारिशों की वजह से तेलंगाना के कपास किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. पहले ही अगस्त और सितंबर में हुई अनियमित बारिश के चलते फसलों में बहुत ज्यादा नमी की समस्या थी. अखबार बिजनेसलाइन ने वारंगल के एक किसान के हवाले से लिखा, 'इन बारिशों से उन फसलों को नुकसान हुआ है जिनकी तुड़ाई अभी शुरू नहीं हुई थी. साथ ही कपास की गांठों को भी काफी नुकसान पहुंचा है जो बिक्री के लिए तैयार हो चुकी थीं.' किसान की मानें तो अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अगर मौसम ऐसा ही रहा तो कपास की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है और उसका रंग फीका पड़ सकता है.
शुरुआती अनुमान के अनुसार तेलंगाना में कुल 1.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें प्रभावित हुई हैं. इनमें 61,000 हेक्टेयर में कपास और 1.14 लाख हेक्टेयर में धान की फसल को नुकसान हुआ है. इसी तरह से आंध्र प्रदेश में साइक्लोन की वजह से करीब 820 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. किसानों को चिंता है कि बहुत ज्यादा नमी के कारण उन्हें कपास को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम दामों पर बेचना पड़ सकता है. भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का कहना है कि उनकी खरीद के लिए कपास में नमी का स्तर 8 से 12 प्रतिशत के बीच होना जरूरी है.
किसानों का कहना है कि बहुत ज्यादा बारिश के कारण कर्नाटक के यदगीर, जुवारगी और शहापुर जैसे इलाकों में कपास की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ा है, जबकि रायचूर के आसपास की फसल अच्छी स्थिति में है. रायचूर के एक सोर्सिंग एजेंट, रामानुज दास बूब ने बताया, 'हम कर्नाटक में इस बार बेहतर पैदावार और कुल मिलाकर अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन अब बारिश ने पूरी स्थिति बदल दी है. फिलहाल नुकसान का सटीक आकलन करना मुश्किल है. शायद जब मौसम साफ होगा तभी पूरी तस्वीर सामने आ पाएगी.' अनियमित मौसम और अचानक बारिश की वजह से फसल की कटाई में देरी हो रही है. इससे पूरे देश में कपास की आवक धीमी पड़ गई है. साथ ही 2025-26 सीजन की शुरुआत में ही बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है. व्यापारियों और मिलों का कहना है कि इस बार कपास की आवक कम है और गुणवत्ता भी मिश्रित है, जबकि सीमित आपूर्ति की उम्मीद के बीच दाम स्थिर बने हुए हैं.
आमतौर पर अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत तक महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादन राज्यों में कपास की आवक तेज हो जाती है. लेकिन इस बार कई इलाकों में लगातार बारिश से तुड़ाई में देरी हुई है और फाइबर की क्वालिटी भी खराब हुई है. इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, फिलहाल रोजाना करीब 70,000 से 90,000 गांठों की आवक हो रही है, जो इस अवधि के मुकाबले काफी कम है. महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों के साथ-साथ तेलंगाना के किसानों ने बताया कि नमी से जुड़ी समस्याएं और लगभग 10-15 फीसदी फसल को आंशिक नुकसान हुआ है.
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