जून-जुलाई में रिकॉर्ड बनाएगा कपास का दाम, मांग ज्यादा और सप्लाई कम होने से बढ़ेंगे भाव

जून-जुलाई में रिकॉर्ड बनाएगा कपास का दाम, मांग ज्यादा और सप्लाई कम होने से बढ़ेंगे भाव

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, अभी जो हालात हैं उसके मुताबिक भारत कपास के निर्यातक से आयातक की श्रेणी में आ सकता है क्योंकि उत्पादन कम और मांग अधिक देखी जा रही है. अभी कपास के दाम 62,500 रुपये से लेकर 63,000 प्रति गांठ चल रहे हैं. आने वाले दिनों में यह भाव और बढ़ेगा.

जून-जुलाई में देश में कपास के भाव में तेजी देखी जाएगी जून-जुलाई में देश में कपास के भाव में तेजी देखी जाएगी
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 19, 2023,
  • Updated Apr 19, 2023, 11:37 AM IST

आने वाले दिनों में कपास के भाव और भी रफ्तार पकड़ेंगे. कीमतें अब भी तेज चल रही हैं, लेकिन आगे इसमें और मजबूती आने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कपास के दाम रिकॉर्ड 75,000 रुपये प्रति गांठ तक जा सकते हैं. इसकी वजह सुस्त सप्लाई और तगड़ी मांग को बताई जा रही है. इस साल के मध्य में कपास का भाव सबसे ऊंचे स्तर पर जाएगा और प्रति गांठ इसकी कीमत 75,000 रुपये तक जा सकती है. अभी कपास की मांग अधिक जबकि उत्पादन कम है. इस वजह से भी कपास के दाम में तेजी देखे जा रहे हैं.

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, अभी जो हालात हैं उसके मुताबिक भारत कपास के निर्यातक से आयातक की श्रेणी में आ सकता है क्योंकि उत्पादन कम और मांग अधिक देखी जा रही है. अभी कपास के दाम 62,500 रुपये से लेकर 63,000 प्रति गांठ चल रहे हैं. आने वाले दिनों में यह भाव और बढ़ेगा.

दाम में तेजी आने की संभावना इसलिए बन रही है क्योंकि कपास की आवक लगभग खत्म होने जा रही है जबकि मांग धीरे-धीरे और रफ्तार पकड़ेगी. अतुल गनात्रा मानते हैं जून-जुलाई में कपास की कीमत 70,000 से 75,000 रुपये प्रति गांठ तक जा सकती है.

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वैश्विक बाजार में दाम नीचे

वैश्विक बाजार का हाल देखें तो वहां मामला उलटा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपास के भाव चार महीने के निचले स्तर पर हैं क्योंकि मांग नहीं आ रही है. अमेरिका और यूरोप के कई देशों में मंदी के हालात हैं जिससे मांग गिरी है. दूसरी ओर, भारत की मिलों में कपास की मांग बेतहाशा बढ़ रही है क्योंकि खपत में लगातार तेजी है.

पिछले साल कपास का निर्यात 42 लाख बेल्स दर्ज किया गया था. लेकिन इस साल निर्यात घटकर 30 लाख बेल्स तक पहुंच जाने की संभावना है. जिस तरह से देसी मिलों में कपास की मांग देखी जा रही है, उसके हिसाब से इस साल निर्यात घटकर 25 लाख बेल्स तक जा सकता है. केडिया कमॉडिटीज के डायरेक्टर अजय कुमार कहते हैं, सूत कताई करने वाली मिलें अभी पूरी क्षमता से चल रही हैं. मगर इन मिलों का भविष्य चुनौतीपूर्ण लग रहा है क्योंकि चीन और बांग्लादेश से मांग गिर रही है और मांग देसी कंपनियों की ओर शिफ्ट हो रही है. 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

दूसरी ओर कुछ एक्सपर्ट ये भी मान कर चल रहे हैं कि अभी जिस रेट पर कपास चल रहा है, वही रेट आगे भी बने रहेंगे. इसमें किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है. मई से जुलाई तक कपास का ऑफ सीजन होता है, उस वक्त बाजार में कपास की आवक बनी रहेगी जिससे कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी. एक्सपर्ट मानते हैं कि कई किसानों ने अपने कपास को रोक कर रखा है जिसे वे अगले एक-दो महीने में निकालेंगे. इससे बाजार में कपास की आवक थोड़ी तेज होगी जिससे कीमतों को रोक कर रखने में मदद मिलेगी. अभी हर दिन बाजार में लगभग 1.5 लाख बेल्स की आवक दर्ज की जा रही है.

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