केंद्र में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं. इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह जिनके पास सहकारिता विभाग भी है, उन्होंने कहा है कि सरकार ने इन पहले 100 दिनों में कई ऐसी नीतियां लागू की हैं जो किसानों की हितैषी हैं. उनका कहना था कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादकता और निर्यात में सुधार करना है और इसलिए ही उसने इन नीतियों को लागू किया है. शाह ने गेहूं और दूसरे अनाजों की बर्बादी रोकने के लिए साइलो की प्लानिंग के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि सरकार देश भर में 3.4 मिलियन टन (एमटी) की संयुक्त क्षमता वाले गेहूं के साइलो का निर्माण करेगी.
शाह, मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उनका कहना था कि सरकार ने 14 क्षेत्रों में 15 लाख करोड़ रुपये की नीतियां लागू की हैं. अमित शाह ने किसानों के कल्याण के लिए शुरू किए गए कार्यों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने खेती में नए प्रयोगों को बढ़ावा देने के मकसद से स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों की मदद के लिए एक कृषि कोष की शुरुआत की है. उनका कहना था कि खेती के इनफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और किसानों को समर्थन देने के लिए कृषि बुनियादी ढांचा कोष का विस्तार किया गया है. साथ ही किसानों के जीवन और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए सात योजनाओं में 14,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
अमित शाह ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 9.3 करोड़ किसानों को 20,000 करोड़ रुपये डिस्ट्रीब्यूट किए गए हैं. साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र की अहम उपलब्धियों के बारे में भी बताया. शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला निर्णय पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त के तहत 9.3 करोड़ किसानों को 20,000 करोड़ रुपये वितरित करना था. अब तक 12.33 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.'
आपको बता दें कि पीएम-किसान योजना के तहत 6000 रुपये का सालान लाभ दिया जाता है. इसके तहत किसानों के अकाउंट में डीबीटी सिस्टम के तहत हर चार महीने में 2,000 रुपये की तीन समान किस्तें सरकार की तरफ से दी जाती हैं. अमित शाह ने कहा कि कृषि नीतियों को किसानों के कल्याण और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे देश के खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की स्थिति में सुधार होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार देश भर में 3.4 मिलियन टन (एमटी) की संयुक्त क्षमता वाले गेहूं के साइलो का निर्माण करेगी. इससे अनाज की बर्बादी कम होगी और शेल्फ लाइफ बढ़ेगी. इसके अलावा किसानों के लिए सस्ती मिट्टी पोषक तत्व उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएंडके उर्वरक कंपनियों को 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से विशेष डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) सब्सिडी पैकेज प्रदान किए गए हैं. वहीं अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी भी दी कि मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए देश में पांच इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क स्थापित किए जाएंगे.
किसानों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए शाह ने कहा, 'यूपीए शासन की तुलना में मोदी सरकार ने एमएसपी पर ज्यादा फसलें खरीदी हैं. इससे पता चलता है कि एनडीए सरकार किसानों के लिए प्रतिबद्ध है.' साल 2024-25 सीजन के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिले. अमित शाह ने कहा कि एमएसपी के जरिए किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे. निर्यात को समर्थन देने के लिए, मंत्री ने कहा कि प्याज और बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को खत्म कर दिया गया है. शाह ने कहा कि ये नीतियां किसान कल्याण को बढ़ाने और भारत के कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं.
सहकारिता मंत्री अमित शाह के अनुसार उत्पादकता बढ़ाने और प्रयोगशाला और भूमि के बीच की खाई को पाटने के लिए कुल 109 जलवायु-लचीले और जैव-सशक्त उच्च उपज वाली फसलें समर्पित की गईं. साथ ही 2000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाले 'मिशन मौसम' के तहत, सरकार मौसम के अनुकूल और जलवायु-स्मार्ट भारत बनाने में मदद करेगी, जिसका सीधा लाभ कृषि क्षेत्र को मिलेगा. डिजिटल कृषि मिशन के तहत डिजिटल तकनीक के जरिए खेती का आधुनिकीकरण किया जाएगा.
सहकारिता मंत्री ने इथेनॉल प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए बताया कि चीनी मिलों को मल्टी-फीड डिस्टिलरी में बदला जा रहा है. अमित शाह के अनुसार, 'अब मिलें न सिर्फ गन्ने के रस से बल्कि मक्के से भी इथेनॉल बना सकती हैं. जब देश में चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस की जरूरत होगी तो मक्के से इथेनॉल बनाया जाएगा. जब चीनी का उत्पादन ज्यादा होगा तो चीनी के रस से इथेनॉल बनाया जाएगा.'
इसके अलावा, उन्होंने जानकारी दी कि सिंचाई क्षमता को बढ़ावा देने के लिए पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए सरकार द्वारा 12,100 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. 1,765 करोड़ रुपये के बजट के साथ स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम के तहत, सरकार फलों की फसल के मानकों को बढ़ाएगी और फलों और सब्जियों के संरक्षण में मदद के लिए नौ अत्याधुनिक स्वच्छ संयंत्र केंद्र और 50 बहु-उत्पाद विकिरण सुविधाएं स्थापित करेगी.
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