गेहूं भारत ही नहीं दुनिया के लगभग हर देश का एक महत्वपूर्ण अनाज है. हर देश अलग-अलग मौसम में इसकी खेती करता है और अपनी आबादी का पेट भरता है. क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में गेहूं की सबसे ज्यादा खेती या इसका उत्पादन सबसे ज्यादा किस देश में होता है? अगर आपको लगता है कि भारत में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है तो आप गलत हैं. भारत का 'दुश्मन' चीन इस मामले में आगे है. जी हां चीन दुनिया का वह देश है जहां पर गेहूं का उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होता है.
अमेरिकी कृषि विभाग USDA की रिपोर्ट के अनुसार विपणन वर्ष 2024-25 में, गेहूं का वैश्विक उत्पादन करीब 793 मिलियन मीट्रिक टन था और पिछले साल के 785 मिलियन मीट्रिक टन के आंकड़ें से 8 मिलियन मीट्रिक टन ज्यादा है. इस आंकड़ें में चीन का नंबर सबसे ऊपर है. चीन में इस अवधि में करीब 140.1 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ.
चीन के बाद यूरोपियन यूनियन का नंबर है जहां पर 121 मिलियन मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उत्पादन हुआ. वहीं अगर बात भारत की करें तो 2024-25 में भारत का गेहूं उत्पादन करीब 115 मिलियन मीट्रिक टन से कुछ ज्यादा होने का अनुमान है.
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भारत के बाद रूस का नंबर है जहां पर 81.6 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ जो कि कुल आबादी का 10 फीसदी है. इसके बाद 53.65 मिलियन मीट्रिक टन के साथ अमेरिका का नंबर आता है. भारत का कट्टर दुश्मन और पड़ोसी पाकिस्तान इस लिस्ट में आंठवें नंबर पर है जहां पर 31.58 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन 2024-24 में हुआ है.
भारत में 2025-26 के खरीद सत्र में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार की गेहूं खरीद तेजी से शुरू हो गई है. एजेंसियों ने पिछले हफ्ते तक 1 मिलियन टन (MT) से ज्यादा अनाज खरीद लिया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान केवल 0.35 MT अनाज खरीदा गया था. ऐसा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में दो हफ्ते पहले ही गेहूं की शुरुआती खरीद और मजबूत आवक के कारण हुआ है.
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फिच सोल्यूशंस की यूनिट बीएमआई हवाले से बताया है कि अनुमान के अनुसार इस बार गेहूं की कीमतें वर्तमान स्तर से ज्यादा हो सकती हैं और इसकी वजह सप्लाई का सख्त होना है. इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल (आईजीसी) ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं के स्टॉक 2025-26 में गिरावट आ सकती है क्योंकि निर्यातकों की तरफ से सख्ती जारी रहेगी. इसी वजह से एशिया के कुछ देशों में इसके स्तर में गिरावट हो सकती है.