Kharif Sowing: दलहन और तिलहन की बुवाई को झटका, तमाम कोशिशों के बाद भी रकबे में गिरावट

Kharif Sowing: दलहन और तिलहन की बुवाई को झटका, तमाम कोशिशों के बाद भी रकबे में गिरावट

सरकार धान का रकबा घटाना और तिलहन, दलहन का बढ़ाना चाहती है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. मगर तमाम कोशिशों के बाद भी दलहन और तिलहन की बुवाई पिछले कई हफ्ते से पिछड़ रही है. इसे लेकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चिंता जता चुके हैं.

मंडियों में एमएसपी से कम दालों और तिलहन की कीमतें मंडियों में एमएसपी से कम दालों और तिलहन की कीमतें
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 15, 2025,
  • Updated Sep 15, 2025, 7:52 PM IST

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने खरीफ फसलों की बुवाई का ताजा आंकड़ा जारी किया है. इस आंकड़े में 12 सितंबर 2025 तक की बुवाई की जानकारी दी गई है. इसमें धान, दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, गन्ना, कपास से लेकर मक्का आदि की जानकारी दी गई है. ताजा आंकड़ा बताता है कि सामान्य बुवाई से अभी तक का रकबा पार हो चुका है. कुल खरीफ फसलों की बुवाई का सामान्य आंकड़ा 1096 लाख हेक्टेयर है जबकि अभी तक रकबा 1110 लाख हेक्टेयर को पार कर चुका है. पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 1096 लाख हेक्टेयर था. 

धान में अच्छी बढ़ोतरी

धान की फसल का रकबा इस बार 438.51 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 430.06 लाख हेक्टेयर से 9.45 लाख हेक्टेयर अधिक है. धान की खेती का सामान्य रकबा 403.09 लाख हेक्टेयर है. यह खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल है और अच्छी बारिश से धान की बुवाई को फायदा हुआ है.

दालों की स्थिति क्या है?

दालों की कुल बुवाई थोड़ी ही बढ़ी है. इसमें पिछले साल से 0.81 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. पिछले साल यह 117.25 लाख हेक्टेयर थी जो बढ़कर 118.06 लाख हेक्टेयर तक पहुंची है. उड़द (काली दाल) की बुवाई 1.51 लाख हेक्टेयर बढ़ी है और अब 23.66 लाख हेक्टेयर हो गई है. मूंग (हरी दाल) में हल्की गिरावट (0.32 लाख हेक्टेयर) दर्ज की गई है. लेकिन अरहर (तुअर) की बुवाई घटकर 45.81 लाख हेक्टेयर रह गई है, जो पिछले साल 46.26 लाख हेक्टेयर थी. यानी अभी तक 0.45 लाख हेक्टेयर की गिरावट है.

मोटे अनाज और मक्का की बुवाई

मोटे अनाजों (जैसे ज्वार, बाजरा, रागी) का क्षेत्रफल बढ़ा है और इसमें 12.17 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. पिछले साल 180.75 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हुई थी जो इस साल बढ़कर 192.91 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. इसका सामान्य रकबा 180.71 लाख हेक्टेयर है. 

मक्का की बुवाई में 10.54 लाख हेक्टेयर की जोरदार बढ़ोतरी हुई है. यह अब 94.84 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है जबकि सामान्य रकबा 78.95 लाख हेक्टेयर है.

ज्वार और बाजरा में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया. ज्वार जबकि 0.07 लाख हेक्टेयर की गिरावट में है और बाजरे में 0.37 लाख की बढ़ोतरी है. रागी की बुवाई में 0.42 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है.

तिलहनों में गिरावट

तिलहन की बुवाई में इस बार कमी देखी गई है और यह कमी 5.12 लाख हेक्टेयर की है. पिछले साल 193.93 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हुई थी जबकि इस बार 188.81 लाख हेक्टेयर ही है.  सोयाबीन की बुवाई में 5.81 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई है. मूंगफली का क्षेत्रफल 0.34 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और 47.99 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा है. हालांकि सामान्य रकबा 45.10 लाख हेक्टेयर से अधिक है. सूरजमुखी की बुवाई में 0.03 लाख हेक्टेयर की गिरावट हुई है.

कपास, गन्ना और जूट का आंकड़ा

कपास की बुवाई में 2.85 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. अब यह 109.64 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 112 लाख हेक्टेयर था. इसका सामान्य रकबा 129.50 लाख हेक्टेयर है. 

गन्ना का क्षेत्रफल 1.64 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और यह 57.31 लाख हेक्टेयर हो गया है. जूट और मेस्टा की बुवाई में 0.18 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. हालांकि खरीफ फसलों की कुल बुवाई सामान्य से अधिक पहुंच गई है और कुछ फसलों में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है.

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