देशभर के गेहूं उत्पादक राज्यों में इस समय फसल कटाई चल रही है. ऐसे में ज्यादातर जगहों पर तो लोग फसल काटने के बाद अवशेष/पराली का प्रबंधन कर रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर खेत में पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. IARI- CREAMS ने कृषि निदेशालय, उत्तर प्रदेश को 3 मार्च को ई-मेल भेजकर यूपी में कई जिलों में पराली जलाने से जुड़ी घटनाओं की जानकारी दी है. संस्थान ने निदेशालय को पराली जलाने की सैटेलाइट तस्वीरें भेजते हुए इन घटनाओं पर चिंता जताई है.
कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने उक्त घटनाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों और सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में इन घटनाओं पर रोक लगाएं. कृषि निदेशक ने अपने आदेश में कहा कि एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट और CAQM ने फसल अवशेष/पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कारगर कदम उठाते हुए इन पर शत-प्रतिशत रोकथाम के लिए साफ निर्देश दिए हुए हैं.
इसलिए उक्त क्रम में आपको निर्देशित किया जाता है कि आप अपने जिले में गेहूं फसल की पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए और व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार करें, ताकि इन घटनाओं की रोकथाम हो सके.
बताते चलें कि राज्य सरकार ने हर जिले में रीपर या स्ट्रा रीपर के माध्यम से गेहूं की पराली से प्राथमिकता के साथ भूसा बनाने के लिए कहा है, ताकि पराली का प्रबंधन होने के साथ ही पशुचारे का इंतजाम भी हो सके और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे. शासन ने कृषि विभाग समेत सभी संबंधित अधिकारियों को सख्ती के साथ इसका पालन कराने के लिए कहा है.
मालूम हो कि देश में खासकर उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में हर साल धान और गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. इससे न सिर्फ पर्यावरण को भारी नुकसान होता है, बल्कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण भी गंभीर स्तर तक बढ़ जाता है.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में भी वहां की सरकार ने किसानों को सचेत किया है कि वे गेहूं की पराली न जलाएं. एमपी सरकार ने इसके लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया हुआ है और किसानों को सख्त हिदायत दी है कि नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी. मध्य प्रदेश में फरवरी अंत से ही गेहूं कटाई का काम शुरू हो जाता है, जो अभी जारी है.