एक रुपये किलो शिमला मिर्च बेचने पर मजबूर किसान, बोले- CM के कहने पर की थी ये खेती

एक रुपये किलो शिमला मिर्च बेचने पर मजबूर किसान, बोले- CM के कहने पर की थी ये खेती

पंजाब में किसानों की स्थिति खराब है. यहां शिमला मिर्च उगाने वाले किसानों को मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने अपनी आपबीती में जाहिर किया कि उन्होंने शिमला मिर्च की खेती CM भगवंत मान के कहने पर शुरू की थी. जानें पूरा मामला-

किसान सड़कों पर फेंक रहे अपनी उपजकिसान सड़कों पर फेंक रहे अपनी उपज
क‍िसान तक
  • Punjab,
  • Apr 20, 2023,
  • Updated Apr 20, 2023, 10:10 AM IST

फसलों का सही दाम ना मिलना किसानों की मुश्किलों को दोगुना कर देता है. ऐसे में कई बार ऐसे वीडियो और तस्वीरें सामने आती हैं जब किसान अपनी ही मेहनत से उगाई गई फसल को सड़कों पर फेंकने पर मजबूर हो जाते हैं या खड़ी फसल पर खुद ही ट्रैक्टर चला देते हैं. ऐसा ही एक नया मामला पंजाब से सामने आया है. यहां कीमतों में गिरावट के चलते पंजाब के किसान शिमला मिर्च को सड़कों पर फेंकते नजर आ रहे हैं. पंजाब के मनसा जिले में किसान बुधवार को कई टन शिमला मिर्च को सड़कों पर फेंकते नजर आए. दरअसल कीमतों में आई गिरावट की वजह से किसानों ने यह कदम उठाया. जानिए क्या है पूरा मामला और ऐसा करने पर क्यों मजबूर हैं किसान-

CM भगवंत मान के कहने पर उगाई शिमला मिर्च

किसानों का कहना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अपील के बाद उन्होंने अपनी जमीन के एक हिस्से पर शिमला मिर्च उगाई थी, लेकिन जब इस फसल को वे बेचने गए तो उन्हें इसका सही दाम नहीं मिला. किसानों के मुताबिक मंडी में उन्हें एक किलो शिमला मिर्च एक रुपये में बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बता दें कि पंजाब में 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर सब्जियों की खेती की जाती है. इनमें से, शिमला मिर्च मुख्य रूप से मनसा, फिरोजपुर और संगरूर जिलों में लगभग 1,500 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई गई है.

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अधिक उत्पादन की वजह से कीमतों में आई गिरावट

बागवानी विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक संगरूर में 500 हेक्टेयर, मानसा में 250 हेक्टेयर, फिरोजपुर में लगभग 100 हेक्टेयर में शिमला मिर्च की  खेती की जा रही है. इस साल पंजाब की मंडियों में शिमला मिर्च की खूब आवक देखी जा रही है. बागवानी विभाग ने कहा कि लंबे समय तक ठंडे मौसम का मतलब है कि इस साल सभी राज्यों में शिमला मिर्च का उत्पादन अधिक हुआ है. पहले महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की फसल जनवरी-फरवरी की अवधि में आती थी, उसके बाद पंजाब की उपज मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में आती थी. इस बार सभी राज्यों की वैरायटी एक साथ आई है. जिससे पंजाब के किसानों को शिमला मिर्च की कीमतों में आई गिरावट का सामना करना पड़ रहा है. 

2021-22 में कीमतों में था सुधार

इससे पहले 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान किसानों को इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था. लेकिन फिर भी, अप्रैल में अपनी शुरुआती फसल के लिए 10-15 रुपये प्रति किलोग्राम की उचित दर मिली थी. मई तक दरें घटकर केवल 3 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थीं लेकिन इस बार शुरुआत से ही उपज के दामों में गिरावट देखी जा रही है. 2021 और 2022 की बात करें तो यह दोनों साल, फसल और किसानों के लिए अच्छे थे, यहां तक कि किसानों को कुछ किस्मों के लिए 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल रहा था. वहीं इस बार स्थिति बिल्कुल विपरीत है.

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