विदेशी बाजारों में भारतीय बासमती चावल की डिमांड में उछाल दर्ज किया गया है, जिसके चलते अप्रैल- मई माह के दौरान चावल निर्यात में 13 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. मूल्य के हिसाब से यह 1 अरब डॉलर पार कर गया है. मात्रा के हिसाब से निर्यात 9 लाख टन से अधिक दर्ज किया गया है. बासमती चावल की सबसे ज्यादा खरीद सउदी अरब और इराक ने की है, जबकि, कुछ यूरोपीय देशों से भी खरीद की गई है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-मई 2024-25 के दौरान बासमती चावल निर्यात 1.03 अरब डॉलर से अधिक रहा है. यह एक साल पहले की तुलना में 13 फीसदी अधिक है. एपीडा के ताजा आंकड़ों के अनुसार मात्रा के हिसाब से शिपमेंट एक साल पहले की तुलना में 8.3 लाख टन से 16 फीसदी से बढ़कर 9.65 लाख टन हो गया है.
भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार सऊदी अरब रहा है, जिसने अकेले 2.18 लाख टन से अधिक चावल की खरीद की है. जबकि, एक साल पहले सउदी ने 1.54 लाख टन बासमती चावल खरीदा था. इस हिसाब से सउदी ने अप्रैल-मई अवधि में 41 फीसदी अधिक खरीद की है. वहीं, मूल्य के हिसाब से सऊदी को शिपमेंट एक साल पहले की तुलना में 38 फीसदी बढ़कर 244 मिलियन डॉलर हो गया.
दूसरे सबसे बड़े खरीदार इराक को बासमती का निर्यात 1.57 लाख टन से अधिक रहा है, जो बीते साल की तुलना में 27 फीसदी अधिक है. मूल्य के हिसाब से इराक को बासमती निर्यात पिछले साल की समान अवधि में 130.84 मिलियन डॉलर के मुकाबले 23 फीसदी बढ़कर 161.72 मिलियन डॉलर हो गया. वहीं, ईरान इस वर्ष अब तक भारतीय बासमती का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा है. हालांकि, ईरान को शिपमेंट एक साल पहले 1.53 लाख टन की तुलना में 24 फीसदी घटकर 1.16 लाख टन रह गया है. मूल्य के हिसाब से ईरान को बासमती शिपमेंट 155 मिलियन डॉलर के मुकाबले 25 फीसदी कम होकर 115.53 मिलियन डॉलर रहा है.
अमेरिका ने भारतीय बासमती चावल 46,565 टन की खरीद की है और वह चौथा सबसे बड़ा खरीदार रहा है. पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अमेरिका ने 43 फीसदी अधिक खरीद की है. मूल्य के हिसाब से अमेरिका को शिपमेंट 41.47 मिलियन डॉलर के मुकाबले 45 फीसदी बढ़कर 60 मिलियन डॉलर हो गई है.
दुनियाभर में भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. पिछले वित्तीय वर्ष में बासमती चावल की शिपमेंट में मात्रा के हिसाब से 15 फीसदी का छाल दर्ज किया गया है और यह रिकॉर्ड 5.24 मिलियन टन पर पहुंच गई है. यह मूल्य के हिसाब से 5.83 अरब डॉलर से अधिक है. बता दें कि पश्चिम एशिया भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार है, जो भेजी गई खेप की मात्रा का लगभग दो तिहाई हिस्सा होता है.