Toor dal: कैसे करें अरहर की खेती, क्‍यों हैं किसानों के लिए फायदेमंद जानें एक-एक बात 

Toor dal: कैसे करें अरहर की खेती, क्‍यों हैं किसानों के लिए फायदेमंद जानें एक-एक बात 

Toor dal: देश में कई किसान इन दिनों अरहर की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. इसकी बुवाई मॉनसून की शुरुआत यानी जून के मध्य से जुलाई में होती है. जबकि इसकी कुछ अगेती किस्मों की बुवाई मई के अंत तक भी की जाती है.

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क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Jun 16, 2025,
  • Updated Jun 16, 2025, 6:50 AM IST

Toor dal:अरहर जिसे pigeon pea या Toor dal भी कहा जाता है, भारत में उगाई जाने वाली एक प्रमुख दलहनी फसल है. अरहर की दाल हर घर में लंच का सबसे अहम हिस्‍सा है. प्रोटीन से भरपूर यह दाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मददगार होती है. अक्‍सर विशेषज्ञ इसकी खेती को छोटे और सीमांत किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत बताते हैं. आपको बता दें कि भारत दुनिया का वह देश है जहां पर अरहर का सबसे ज्‍यादा उत्‍पादन और उपभोग दोनों होते हैं. 

अरहर की बुवाई का सही समय  

देश में कई किसान इन दिनों अरहर की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. इसकी बुवाई मॉनसून की शुरुआत यानी जून के मध्य से जुलाई में होती है. जबकि इसकी कुछ अगेती किस्मों की बुवाई मई के अंत तक भी की जाती है. बुवाई के लिए बीज दर करीब लगभग 12–15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. पूसा के अनुसार किसान इस हफ्ते अरहर की बुवाई कर सकते हैं. उसने किसानों को सलाह दी है कि अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. साथ ही बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें. वहीं अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है. 

किसानों के लिए क्‍यों है फायदेमंद 

अरहर की खेती किसानों के लिए फायदेमंद है क्‍योंकि इसकी बाजार में हर समय मांग बनी रहती है. वहीं इसकी खेती से भूमि की उर्वरता में सुधार होता है. साथ ही अब किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा भी मिलने लगा है. इसकी खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है. यह फसल 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी होती है. अरहर को मध्यम से भारी दोमट या काली मिट्टी में उगाना उत्तम माना जाता है जिसकी जल निकासी व्यवस्था अच्छी हो. हालांकि हल्की अम्लीय से लेकर क्षारीय मिट्टी तक में इसकी खेती संभव है. 

प्रमुख किस्में कौन-कौन सी 

ICPL 87119 (Asha): मध्यम अवधि की किस्म, कीटों के प्रति सहनशील. 
Pusa 2001: जल्दी पकने वाली किस्म, 120–130 दिन में तैयार. 
BDN-711, Maruti, TTB-7: कई राज्यों के लिए सही और ज्‍यादा उपज देने वाली किस्में. 


सिंचाई कैसी होनी चाहिए 

अरहर बारिश पर आधारित फसल है, लेकिन सूखे की स्थिति में 1–2 बार सिंचाई जरूरी हो जाती है. ज्‍यादा सिंचाई से पौधों को नुकसान हो सकता है. इसलिए जल निकासी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. अरहर की फसल पकने के बाद जब फलियां सूखने लगें और 80 फीसदी फलियां पीली हो जाएं, तब कटाई करनी चाहिए. औसतन एक हेक्टेयर से 12–20 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है, जो किस्म और देखरेख पर निर्भर करती है. 

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