Rajasthan: गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई कपास, किसानों का धरना, नुकसान के आकलन के लिए बनेगी कमेटी

Rajasthan: गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई कपास, किसानों का धरना, नुकसान के आकलन के लिए बनेगी कमेटी

अकेले हनुमानगढ़ में करीब 225 करोड़ रुपये की फसलें खराब हो गई हैं. श्रीगंगानगर में भी यही हालात हैं. हनुमानगढ़ में 2.06 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन की बुवाई हुई थी. वहीं, गंगानगर में भी करीब दो लाख हेक्टेयर में किसानों ने बीटी कॉटन बोया है. किसान संगठनों की मानें तो अगेती फसलों में 25 फीसदी तक नुकसान है.

हनुमानगढ़ में मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान. फोटो- Resham Singhहनुमानगढ़ में मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान. फोटो- Resham Singh
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Sep 12, 2023,
  • Updated Sep 12, 2023, 1:36 PM IST

राजस्थान में पंजाब सीमा से सटे हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर के किसान परेशान हैं. क्योंकि नरमा की फसल गुलाबी सुंडी से बर्बाद हो गई है. अनुमान है कि अकेले हनुमानगढ़ में करीब 225 करोड़ रुपये की फसलें खराब हो गई हैं. श्रीगंगानगर में भी यही हालात हैं. हनुमानगढ़ में 2.06 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन की बुवाई हुई थी. वहीं, गंगानगर में भी करीब दो लाख हेक्टेयर में किसानों ने बीटी कॉटन बोया है. किसान संगठनों की मानें तो अगेती फसलों में 25 फीसदी तक नुकसान है. कहीं-कहीं बीटी कॉटन में 80 फीसदी तक नुकसान हुआ है.

वहीं, कृषि विभाग 20-30 प्रतिशत नुकसान की बात कह रहा है. हनुमानगढ़ में सोमवार को किसानों ने गुलाबी सुंडी से खराब हुई फसलों के मुआवजे के लिए जिला कलेक्ट्रेट के आगे धरना दिया. यह करीब आठ घंटे तक चला. प्रशासन के साथ हुई बातचीत में तय हुआ कि एक हाइलेवल कमेटी बनाकर नुकसान का आकलन किया जाएगा.  किसान तक ने किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष रेशम सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि इस कमेटी में कृषि विभाग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक और किसान संगठनों के लोग शामिल होंगे. 

किसान संगठनों के अनुसार अगेती बीटी कॉटन में सबसे ज्यादा नुकसान है. मार्च के आखिरी और अप्रैल के शुरूआती हफ्ते में हनुमानगढ़ में करीब 80 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. अभी इसी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 

बता दें कि राजस्थान में इस साल 7700 लाख हेक्टेयर कपास बुवाई का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन किसानों ने अच्छी बारिश के चलते 7900 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई की है, लेकिन बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी से किसानों की सारी उम्मीदें टूट सी गई हैं.

किसानों ने कहा- बीजों की क्वालिटी खराब, कार्रवाई करे सरकार

रेशम सिंह ने आगे जोड़ा कि बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी लगने की मुख्य वजह खराब गुणवक्ता का बीज होना है. बीज कंपनियां दावा करती हैं कि बीटी बीजों में किसी तरह का रोग नहीं लगता, लेकिन पहली बार है कि बीटी कॉटन लगाकर किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

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रेशम बताते हैं कि पहले बीटी कपास के साथ रिफ्यूजी बीज अलग से दिया जाता था. अब मिलाकर दिया जाने लगा है. इससे बीजों की क्वालिटी खराब हुई है. साथ ही रिफ्यूजी बीजों की मात्रा मापने का कोई पैमाना नहीं बना है. इसीलिए हमारी फसलें खराब हो गई हैं. सरकार को बीज कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. 

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किसानों ने उठाई ये तीन मुख्य मांग

किसानों ने अपने विरोध-प्रदर्शन के दौरान तीन मुख्य मांगें उठाईं. इनमें पहली मांग बीटी कॉटन बीज में नॉन बीटी बीज मिलाने पर रोक लगानी की मांग थी. साथ ही सरकार से नई जनरेशन के बीज बेचने की परमिशन  देने की भी मांग रखी. इसके अलावा किसानों ने बीटी कॉटन से हुए नुकसान की विशेष गिरदावरी कराने और प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग भी किसानों ने रखी. किसानों ने तीसरी मांग रखी कि बीटी बीज की क्वालिटी चैक के बाद ही बीज बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए. वहीं, अमानक बीज बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. 

प्रशासन से बीतचीत के दौरान किसान संगठन के लोग. फोटो- Resham Singh

बता दें कि पिछले दिनों भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी हनुमानगढ़ में परिवर्तन यात्रा के दौरान खेतों का जायजा लिया था. उन्होंने गुलाबी सुंडी से खराब हुई फसल के लिए सरकार से किसानों को मुआवजा देने की भी मांग की थी. 
 

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