राजस्थान सरकार की ओर से शुरू किए गए मिशन 2030 के लिए अलग-अलग विभाग स्टेक होल्डर्स के साथ बातचीत कर रहे हैं. इस बातचीत में मिले सुझावों के बाद विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है. हाल ही में विजन डॉक्यूमेंट के लिए ग्राम सभा, पशुपालन और वन एवं पर्यावरण विभाग ने तमाम स्टेक होल्डर्स के साथ मीटिंग की. इसके लिए आज मंगलवार को प्रदेशभर में विशेष ग्राम सभाएं लगाई जा रही हैं. इन ग्राम सभाओं में गांव के लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे. हाल ही में पांच सितम्बर को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने राजस्थान मिशन 2030 के लिए ग्राम पंचायतों के साथ ऑरिएंटेशन कार्यक्रम रखा था. इसमे विभाग ने गांवों के विकास के लिए ग्रामीणों से सुझाव मांगे थे.
वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने बताया कि विभाग के साथ बातचीत में शामिल होने आए स्टेक होल्डर्स ने विजन 2030 के लिए वेटलैंड की संख्या बढ़ाने, उद्योगों में सोलर प्लांट्स के लिए जगह उपलध कराने, खनन क्षेत्र में पौधरोपण के लिए सरकार से जगह उपलब्ध करवाने, खनन में जीरो वेस्ट के लिए प्रयास करने, एसटीपी से निकलने वाले स्लज को सोलर एनर्जी के उपयोग से खाद में परिवर्तित करने जैसे सुझाव दिए गए.
साथ ही इंटीग्रेटेड रिसोर्स रिकवरी पार्क की तर्ज पर अन्य पार्क स्थापित करने, राज्य में सांभर एवं तालछापर की तर्ज पर अन्य जगहों पर भी कंज़र्वेशन रिज़र्व खोलने, कैप्टिव ब्रीडिंग में जन्म लेने वाली प्रजातियों के पशु पक्षियों को वापस जंगल में रहने के लिए तैयार करने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन एवं निस्तारण की व्यवस्था जैसे सुझाव दिए गए.
बैठक में शामिल होने आए सीमेंट एवं टायर उद्योगों के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल से जुड़े हुए सवालों एवं समस्याओं के समाधान के लिए हेल्प डेस्क होनी चाहिए. इसी के साथ नॉन-हजार्डियस वेस्ट के लिए अनुमति के नियमों पर विचार किया जाना चाहिए. वहीं, ऐसे उद्योग जो कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमों की पालना कर रहे है, उनके निरीक्षण नियमों एवं समय में शिथिलता दी जानी चाहिए.
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राजस्थान मिशन 2030 में विजन डॉक्यूमेंट बनाने के लिए 12 सितंबर को प्रदेशभर में विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन किया जा रहा है. पंचायती राज विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त रवि जैन ने बताया कि विशेष ग्रामसभा में हितधारकों के साथ चर्चा कर उनके उपयोगी सुझावों के माध्यम से राजस्थान मिशन-2030 में उनकी सहभागिता के लिए सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
मंगलवार को ग्रामसभाओं में मिलने वाले सुझावों के अध्ययन के बाद पीएमयू द्वारा विजन डॉक्यूमेंट में शामिल किया जाएगा. राज्य स्तर पर पंचायती राज से सम्बन्धित सुझाव सभी जिलों से साझा किए जाएंगे, जिससे सुझावों का दोहराव नहीं हो.
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पशुपालन विभाग ने भी विजन डॉक्यूमेंट के लिए स्टेक होल्डर्स से सुझाव मांगे. इसमें पशुओं के स्वास्थ्य, टीकाकरण, पशुपालकों के प्रशिक्षण, चारा डिपो खोलने, पशु आहार पर अनुदान, ग्राम पंचायत स्तर पर पशु चिकित्सा केंद्र खोलने, पंचायत समिति स्तर पर पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान खोलने और पशु मेलों की संख्या बढ़ाने जैसे सुधाव मिले. इसके अलावा पशुओं से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान के लिए अलग से वेब पोर्टल शुरू करने के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन को लघु उद्योग का दर्जा देने के सुझाव विभाग को मिले.
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