
बेमौसम बारिश से धान और सब्जी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. रांची के आसपास के क्षेत्रों में पिछले चार दिनों से हो रही बेमौसम बारिश से कृषि कार्य प्रभावित हो गया है. बारिश के कारण खेतों में पकने की अवस्था में खड़े धान की बालियों को नुकसान पहुंचा है. एक किसान ने फसल नुकसान देखकर भावुक हो गया और अपना सिर पकड़ लिया. लगातार पानी जमा होने से धान सड़ने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है. वहीं, लहसुन, पालक आलू, मक्का, मडुआ सहित कई हरी सब्जियों की खेती पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान की आशंका गहरा गई है.
यहां रहने वाले किसान रामप्रसाद साहू ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में पालक की खेती के साथ-साथ लहसुन की रोपाई भी की थी, लेकिन अचानक हुई बारिश से फसलें खराब होने लगी हैं. किसानों का कहना है कि यदि मौसम इसी तरह खराब रहा, तो तैयार फसलें कटने से पहले ही नष्ट हो सकती हैं. किसानों ने राज्य सरकार और कृषि विभाग से निरीक्षण कर उचित मुआवजा और तकनीकी सलाह उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके और आगामी खेती कार्य प्रभावित न हो.
वहीं, एक किसान ने भारी फसल नुकसान पर गंभीर संकट व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि उनकी सभी धान की फसलें नष्ट हो गईं, जिससे भारी वित्तीय नुकसान हुआ. पूंजी लगाने के बावजूद, वे पूरी तरह से हतोत्साहित हो गए हैं और उन्हें कोई वित्तीय लाभ नहीं दिख रहा है. किसान ने कहा कि वह और अधिक निराशा में डूब रहे हैं और सब कुछ बंद होने जैसा लग रहा है.
उन्होंने सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि अगर सरकार कार्रवाई करती है और मदद करती है तो यह अच्छा है, लेकिन वे इसके लिए उनके पास नहीं जाएंगे. किसान ने कहा कि सरकार कार्रवाई करती है या नहीं, यह उसका अपना निर्णय है.
मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि किसानों की फसल को इस बेमौसम बारिश में खासा नुकसान हुआ है. हालांकि, कुछ कृषि एक्सपर्ट ने सलाह देते हुए जलजमाव को निकलने की बात कही और ऐसे समय में रासायनिक पदार्थो के छिड़काव से बचने की हिदायत दी है.
इधर, आईएमडी ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया कि कल उत्तर-पश्चिम झारखंड और आसपास के क्षेत्रों में बना गहराया हुआ निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ते हुए कल शाम (31 अक्टूबर 2025) को दक्षिण-पश्चिम बिहार और उससे सटे झारखंड के हिस्से में कमजोर पड़ गया.
आज सुबह (1 नवंबर 2025) यह तंत्र गंगीय पश्चिम बंगाल के उत्तरी भागों और उसके आसपास सक्रिय रहा. सुबह 8:30 बजे तक भी यह उसी क्षेत्र में बना रहा. इससे संबंधित चक्रवाती परिसंचरण समुद्र तल से लगभग 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ था. मौसम विभाग के अनुसार, यह प्रणाली अगले 12 घंटों में और कमजोर पड़ते हुए कम प्रभावी हो जाएगी. (आकाश कुमार की रिपोर्ट)