सेब की खेती अब झारखंड में भी होने लगी है. रांची धनबाद के बाद अब बोकारों में भी सेब की खेती की गई है. जीटी रोड के किनारे स्थित बगोदर प्रखंड के डोरियो गांव में सेब की खेती की शुरुआत एक कृषि अधिकारी के पहल पर की गई है. कृषि अधिकारी रामेश्वर नाथ मेहता मूल रुप से डोरियो के रहने वाले हैं. उन्होंने 50 डिसमिल जमीन पर इसकी खेती शुरू की है. उन्होंने सेब के 100 पौधे लगाए हैं जो अब बड़े हो गए हैं. कृषि अधिकारी के तौर पर कार्य करते हुए उन्हें पहले से ही खेती बारी का शौक था, इस शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने सबसे पहले सेब की खेती के बारे में पूरी जानकारी हासिल की और फिर 10 महीने पहले सेब के पौधे लगाएं.
द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक उन्होंने बताया की साल 2022 में उन्होंने सेब के 100 पौधे लगाए थे. जो अब पांच फीट तक बड़े हो गए हैं. रामेश्वर मेहता ने बताया कि उन्होंने सेब की HRMN-99 किस्म की खेती की है. इसकी खेती में फूल और फल आने के लिए चिलिंग आवर्स (ठंडे समय) की आवश्यकता नहीं होती है. यह समुद्र तक से 1800 फीट से भी कम ऊंचाई पर उपज दे सकता है. इसलिए झारखंड में इसकी खेती संभव है. जबकि कश्मीरी या हिमालय में उगने वाले सेब की किस्मों में जनवरी महीने में फुल आते हैं. यह रोपाई के तीन साल बाद कटाई के लिए तैयार होता है.
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रामेश्वर मेहता ने बताया कि उन्होंने सेब की खेती के लिए सबसे पहले एक नर्सरी में सेब के 100 ग्राफ्टेड पौधे तेयार किए थे. इस तरह से उन्हें सेब के प्रत्येक पौधे की कीमत 125 रुपये पड़ी. इसके अलावा रामेश्वर सेब की खेती करने के लिए जैविक तरीकों को अपनाते हैं. उन्होंने बताया की उन्होंने अपने खेत में 100 पौधे लगाए थे. पर भारी बारिश के कारण उनमें से दौ पौधों की मौत हो गई. बाकी पौधे अभी स्वस्थ हैं और बड़े हो रहे हैं.
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वहीं डोरियो गांव के एक शिक्षक, जगदीश प्रसाद ने कहा वो अपने गांव में सेब की खेती देखकर बहुत खुश हैं. यह वाकई एक अच्छी पहल है. ग्रामीणों को शुरू में गर्म और आर्द्र जलवायु में पौधों के जीवित रहने के बारे में संदेह था. फार्म अब एक आकर्षण बन गया है और मेहता जल्द ही इसका विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. गिरिडीह के डिप्टी कमिश्नर राहुल कुमार सिन्हा ने कहा जिले में सेब की खेती शानदार और अभिनव कदम है.