इस बार मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गेहूं की पैदावार पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गेहूं की नई प्रजातियां वातावरण के प्रति सहनशील रहीं. ऐसी प्रजातियों पर गर्मी, बरसात या अन्य मौसमी मार का असर कम रहा. यही वजह है कि इस बार तमाम मौसमी कठिनाइयों के बावजूद गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर तक जाएगा, जैसा अनुमान में बताया गया है. अभी तक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी के किसानों के यहां लगे रिसर्च सेंटरों से मिली रिपोर्ट काफी अच्छी हैं. नई प्रजातियों के गेहूं की कामयाबी वैज्ञानिकों की आशाओं से भी काफी आगे है.
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने 'आजतक' को बताया कि मौसम की विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए हम आशंकित थे कि पैदावार में कुछ गिरावट हो सकती है. लेकिन जो रिपोर्ट मिली हैं, वे काफी अच्छी हैं. किसानों ने फोन करके बताया कि प्रति एकड़ 30-30 क्विंटल की पैदावार निकल रही है. ज्ञानेंद्र सिंह यह भी कहते हैं कि इस बार देश 112 मिलियन टन के उत्पादन लक्ष्य को पार कर जाएगा. पिछली बार देश में 107 मिलियन टन गेहूं की उपज हुई थी जो कि लक्ष्य से पीछे था. मार्च-अप्रैल में अचानक गर्मी बढ़ जाने से पिछले साल गेहूं का उत्पादन गिर गया था.
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डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी नई प्रजातियां डीबी डब्ल्यू 327, 332, 372, 371, 370 आदि हैं, जिनके परिणाम हमारी आशाओं से भी ज्यादा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि किसानों की जो उम्मीदें और आवश्यकताएं हैं, उन्हें अनुसंधान संस्थान पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि गेहूं के पांच राज्यों से मिल रही रिपोर्ट के आधार पर इस बार देशभर में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर जाएगा.
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डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं, भारत सरकार ने गेहूं का उत्पादन लक्ष्य 112 मिलियन टन निर्धारित किया है, लेकिन उत्पादन इससे भी ज्यादा जाएगा. कितना उत्पादन होगा, इसके लिए अभी तीन से चार दिन लग सकते हैं क्योंकि पंजाब में कटाई अभी शुरू हुई है. कटाई होने के साथ ही किसान अपनी पैदावार के बारे में करनाल स्थित IIWBR को जानकारी देंगे, जैसा कि अभी बाकी जगहों के किसान अपनी सूचनाएं शेयर कर रहे हैं. किसानों के फीडबैक के आधार पर तय हो जाएगा कि इस साल गेहूं की पैदावार कहां तक जाएगी. बीते वर्षों की बात करें तो देशभर में जहां 2020-2021 में गेहूं का उत्पादन 109 मिलियन टन था, वहीं 2021-2022 में यह उत्पादन 107 मिलियन टन रहा था, जो आशा के अनुरूप नहीं था. उस साल पैदावार में गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि गेहूं पर गर्मी की मार पड़ी थी.
डॉ. सिंह ने कहा कि बेमौसमी बरसात ओर ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं से गेहूं की फसल गिर गई थी. उन्हें डर था कि क्वालिटी ओर उत्पादन प्रभावित होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि गिरी हुई गेहूं की फसल से अच्छी पैदावार हुई है. वहीं खड़ी फसल की क्वालिटी भी बढिय़ा है. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए किसानों की मेहनत ओर उनमें जागरूकता का बड़ा महत्व है क्योंकि किसान अब जानता है कि विपरित मौसम में क्या करना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान वैज्ञानिकों की बातों को मानकर आगे बढ़ रहा है जिससे इस बार गेहूं के सभी रिकार्ड ध्वस्त हो जाएंगे.