Haryana Elections 2024: बीजेपी ने तोड़ी उम्‍मीदें तो हिसार में अकेले चुनाव लड़ने उतरीं सावित्री जिंदल  

Haryana Elections 2024: बीजेपी ने तोड़ी उम्‍मीदें तो हिसार में अकेले चुनाव लड़ने उतरीं सावित्री जिंदल  

सावित्री जिंदल जो देश की सबसे अमीर महिला हैं, वह जिंदल स्टील और बिजली क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ओपी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन हैं. उनके बेटे नवीन जिंदल फिलहाल कुरुक्षेत्र से बीजेपी के सांसद हैं. कुछ दिनों पहले सावित्री ने खुद को बीजेपी से दूर करते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि वह पार्टी में कभी भी आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं हुई. 

Savitri Jindal is no ordinary contender—she is the chairperson of the steel and power conglomerate O P Jindal Group and is widely recognized as India’s richest woman.Savitri Jindal is no ordinary contender—she is the chairperson of the steel and power conglomerate O P Jindal Group and is widely recognized as India’s richest woman.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 13, 2024,
  • Updated Sep 13, 2024, 8:44 PM IST

हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग होगी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस चुनाव के लिए हिसार से अपने मौजूदा विधायक और मंत्री कमल गुप्ता को मैदान में उतारा है. इसके कुछ दिनों बाद ही पार्टी नेता 74 वर्षीय सावित्री जिंदल ने गुरुवार को उसी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया. देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल स्टील और बिजली समूह ओ पी जिंदल ग्रुप की अध्यक्ष हैं. उनके बेटे नवीन जिंदल वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद हैं. सावित्री जिंदल का कहना है कि उनका सिर्फ एक ही मकसद है और वह है हरियाणा के लोगों की सेवा करना. 

गुरुवार को भरा नामांकन 

कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस की पूर्व विधायक और मंत्री सावित्री ने संकेत दिया था कि वह हिसार से आगामी चुनाव लड़ेंगी, जहां उनके परिवार का कई दशकों से दबदबा रहा है. बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया और आखिरी दिन नामांकन दाखिल किया. सावित्री जिंदल जो देश की सबसे अमीर महिला हैं, वह जिंदल स्टील और बिजली क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ओपी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन हैं. उनके बेटे नवीन जिंदल फिलहाल कुरुक्षेत्र से बीजेपी के सांसद हैं. 

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क्‍या बीजेपी का हैं हिस्‍सा 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 24 मार्च को नवीन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें कुरुक्षेत्र सीट से मैदान में उतारा था. इससे पहले वह दो बार कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. कुछ दिनों बाद ही सावित्री जिंदल भी हिसार में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गईं. हालांकि कुछ दिनों पहले सावित्री ने खुद को बीजेपी से दूर करते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि वह पार्टी में कभी भी आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं हुई. 

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पति कांग्रेस सरकार में थे मंत्री 

सावित्री के पति और जिंदल ग्रुप के फाउंडर ओम प्रकाश जिंदल ने तीन विधानसभा चुनावों साल 1991, 2000 और 2005 में हिसार से जीत हासिल की थी. इसके साथ ही वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन साल 2005 में हेलीकॉप्‍टर क्रैश में उनका निधन हो गया था. पति की मौत के बाद सावित्री राजनीति में शामिल हो गईं. साल 2005 में उन्होंने हिसार से उपचुनाव जीता और हुड्डा सरकार में मंत्री बनीं. साल 2009 के चुनाव में उन्होंने फिर से हिसार सीट जीती और 2013 में हुड्डा सरकार में फिर से मंत्री बनीं. 

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बीजेपी से थी टिकट की उम्‍मीद 

साल 2014 में वह हिसार से चुनाव हार गईं और 2019 में उन्‍होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सावित्री ने अपने बेटे नवीन के लिए कुरुक्षेत्र में प्रचार किया. उन्होंने हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला के लिए भी प्रचार किया. उनके समर्थक को उम्‍मीद थी कि आगामी चुनावों में बीजेपी हिसार विधानसभा सीट से उन्‍हें टिकट देगी. लेकिन पार्टी ने इस सीट से दो बार विधायक रहे और सैनी कैबिनेट में मंत्री कमल गुप्ता को फिर से मैदान में उतारना पसंद किया.

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क्‍या इस बार भी होगी जीत 

पार्टी के फैसले से नाराज सावित्री के समर्थक हिसार के जिंदल हाउस में उन्हें चुनाव मैदान में उतरने के लिए अपील करने लगे. उनसे मिलने के बाद सावित्री ने कहा, 'हिसार जो मेरा परिवार है, कह रहा है कि चुनाव लड़ना ही होगा. मुझे उनकी इच्छा का पालन करना होगा. मैं 'ना' नहीं कह सकती. उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं निश्चित रूप से चुनाव लड़ूंगी.' साल 2014 के चुनावों में सावित्री को हिसार में कमल गुप्ता ने हराया था. उस समय वह कांग्रेस की उम्मीदवार थीं.  इस बार वह निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर गुप्ता को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं. उनके सामने कांग्रेस ने राम निवास रारा को मैदान में उतारा है और माना जाता है कि वह एक कम प्रभावशाली नेता हैं. 

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