Haryana Assembly Election 2024: ज्वार-बाजरा के गढ़ रेवाड़ी सीट पर किसका होगा कब्जा, कौन मारेगा बाजी?

Haryana Assembly Election 2024: ज्वार-बाजरा के गढ़ रेवाड़ी सीट पर किसका होगा कब्जा, कौन मारेगा बाजी?

हम बात करेंगे हरियाणा के रेवाड़ी विधानसभा सीट की. रेवाड़ी राजस्थान से लगता हुआ इलाका है, इसलिए खेती पर वहां का प्रभाव दिखता है. रेवाड़ी में सरसों के अलावा ग्वार, ज्वार और बाजरा की प्रमुखता से खेती होती है. साथ ही सरसों भी बहुतायत मात्रा में उगाई आती है. इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन बीजेपी का प्रभाव भी अच्छा खासा है.

क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 21, 2024,
  • Updated Aug 21, 2024, 7:20 PM IST

हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. यहां एक फेज में एक अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे. यहां कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. पार्टियों ने अभी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है, लेकिन तैयारियां तेज हो गई हैं. पार्टियां जोड़-गांठ में लग गई हैं और अपने-अपने स्तर पर दावे भी किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में हम आज बात करेंगे रेवाड़ी विधानसभा सीट की. इस सीट का हम कृषि के मुताबिक चुनावी विश्वेषण देख लेते हैं.

रेवाड़ी का इलाका खेती-बाड़ी के लिए मशहूर है और यहां कई अलग-अलग फसलों की खेती होती है. इन फसलों में सबसे मशहूर है सरसों और ग्वार. सरसों के अलावा यहां के किसान ग्वार की फली की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं और कमाई लेते हैं. इन दोनों फसलों के अलावा ज्वार, बाजरा और कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है. जहां तक पारंपरिक फसलों की खेती की बात है तो यहां धान या गेहूं का रकबा नाम मात्र का है.

रेवाड़ी में इन फसलों की खेती

धान की खेती नहीं होने के पीछे असली वजह पानी की कमी है. हालांकि पिछले दो साल से कुछ-कुछ इलाकों में इसकी खेती हो रही है, लेकिन अब भी किसानों की प्रायरिटी लिस्ट में यह नहीं है. यहां के किसान बताते हैं कि धान की खेती इसलिए नहीं होती क्योंकि पानी की समस्या गंभीर है. सिंचाई के लिए नहर भी है तो केवल एक ही. इससे धान जैसी फसलों के लिए पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल है. 

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धान की खेती नहीं होने के पीछे दूसरी बड़ी वजह भूजल स्तर का बेहद नीचे जाना है. यहां अंडरग्राउंड वाटर का स्तर 250-300 फीट तक चला गया है. ऐसे में किसान अगर बोरवेल से धान की खेती करेंगे तो उनकी लागत बहुत बढ़ जाएगी. लिहाजा कमाई के नाम पर उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा.

रेवाड़ी पर राजस्थान का प्रभाव 

हरियाणा का रेवाड़ी का क्षेत्र सीधे तौर पर पंजाब से भले न लगता हो, लेकिन दोनों राज्यों के बॉर्डर एक दूसरे से मिलते जरूर हैं. दूसरी ओर रेवाड़ी का एक इलाका राजस्थान से भी चिपकता है. इसलिए रेवाड़ी की खेती में हरियाणा के साथ राजस्थान का भी अंश दिखता है. राजस्थान की सारी फसलें यहां होती हैं, जैसे सरसों, ग्वार, ज्वार और बाजरा आदि. जैसे राजस्थान में धान की खेती न के बराबर है, ठीक वैसे ही रेवाड़ी का भी यही हाल है. हालांकि भूजल स्तर की बात आती है तो रेवाड़ी की तुलना पंजाब से की जाती है जहां पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है.

रेवाड़ी की राजनीति कैसी?

अब बात कर लेते हैं राजनीति. रेवाड़ी विधानसभा सीट में तीन क्षेत्र आते हैं-बावल, कोसली और रेवाड़ी. राजनीतिक लिहाज से ये तीनों क्षेत्र बहुत ही अहम हैं क्योंकि यहीं से कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव आते हैं जिनके बेटे हैं चिरंजीवी राव. राव लालू यादव के दामाद हैं. इस परिवार की राजनीति में गहरी पकड़ है और कांग्रेस की जड़ें पुरानी हैं. 

चिरंजीवी राव रेवाड़ी से कांग्रेस के विधायक भी हैं. कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने दावा किया है कि अगर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह उपमुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार होंगे. इसी के साथ हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की राजनीति में सरगर्मी शुरू हो गई है क्योंकि आलाकमान की ओर से अभी किसी तरह का कोई संकेत नहीं है. इतना ही नहीं, कांग्रेस नेतृत्व की ओर से टिकटों की घोषणा से पहले ही रेवाड़ी विधायक ने 9 सितंबर को अपना नामांकन दाखिल करने की घोषणा कर दी है.

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यहां के दूसरे कद्दावर नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह जो काफी पुराने और दिग्गज चेहरा हैं. वे पहले कांग्रेस में थे, लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी में आ गए और केंद्र में मंत्री हैं. वे गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र से आते हैं और कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर को हराया था. खास बात ये है कि राव इंद्रजीत सिंह पीएम मोदी के कैबिनेट में इस बार लगातार तीसरी बार मंत्री बनाए गए हैं. उनके कद का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि केंद्र में उनके पास दो स्वतंत्र प्रभार और एक राज्यमंत्री का दर्जा है. हरियाणा की राजनीति में भी वे गहरी पकड़ रखते हैं. ऐसी खबरें हैं कि राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती सिंह राव को विधानसभा चुनाव लड़ा सकते हैं.

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि रेवाड़ी विधानसभा सीट से चिरंजीवी राव का सिक्का अधिक चलता है या राव इंद्रजीत सिंह का. ये रही खेती-किसानी से जोड़ते हुए रेवाड़ी विधानसभा सीट की बात. 

 

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