Sonpari Goat: सोनपरी को कब मिलेगा रजिस्ट्रेशन नंबर, दूध-मीट दोनों में है बेजोड़, पढ़ें डिटेल 

Sonpari Goat: सोनपरी को कब मिलेगा रजिस्ट्रेशन नंबर, दूध-मीट दोनों में है बेजोड़, पढ़ें डिटेल 

Sonpari Goat Breed बैरारी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे-बकरियों के क्रॉस से सोनपरी नस्ल को तैयार किया गया है. सोनपरी खासतौर पर तीन राज्यों में पाली जा रही है. दूसरी नस्ल के बकरों के मुकाबले सोनपरी का मीट महंगे दाम पर बिकता है. इसके मीट में फैट की मात्रा कम होती है. ज्यादा दूध और ज्यादा बच्चे देने के लिए भी सोनपरी को पाला जाता है. 

किसानों के लिए ATM है ये बकरी की नस्लकिसानों के लिए ATM है ये बकरी की नस्ल
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Sep 05, 2025,
  • Updated Sep 05, 2025, 3:58 PM IST

Sonpari Goat Breed सोनपरी, जैसा इसका नाम है वैसी ही इसकी खूबियां भी हैं. खूबिया भी कोई एक-दो नहीं थ्री इन वन हैं. एक बार में चार बच्चे तक देती है तो दूध भी अच्छी मात्रा में देती है. वहीं अगर मीट की बात करें तो टेस्टी होने के चलते खूब पसंद किया जाता है. लेकिन एक लम्बे वक्त से सोनपरी अपने रजिस्ट्रेशन नंबर का इंतजार कर रही है. साल 2023 के बाद से सोनपरी का ये इंतजार लम्बा ही होता जा रहा है. हर साल पशु-पक्षियों के रजिस्ट्रेशन की एक लम्बी लिस्ट जारी होती है. 

लेकिन उस लिस्ट में से सोनपरी का नाम गायब रहता है. जबकि सोनपरी के जैसे दिखने वाली अंजोरी नस्ल की बकरी को रजिस्टर्ड किया गया है. अंजोरी छत्तीसगढ़ की नस्ल है. वहीं सोनपरी सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, यूपी के अलावा झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी पाली जाती है. वजन में सोनपरी नस्ल के बकरे 24 से 28 किलो के होते हैं.  

सोनपरी के बारे में क्या कहते हैं गोट साइंटिस्ट 

गोट साइंटिस्ट डॉ. चेतना गंगवार का कहना है कि काफी साल पहले सोनभद्र और मिर्जापुर के इलाकों में किसानों की मदद के लिए और उनकी गरीबी दूर करने के लिए बैरारी नस्ल की बकरी उनके बीच बांटी गईं थी. इसे पालकर वो इसके दूध से बच्चों का पालन-पोषण करते थे. लेकिन बीते कुछ वक्त से इन्हीं किसानों ने बैरारी बकरी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे को क्रास कराकर एक नई नस्ल तैयार कर दी. गौरतलब रहे कि ब्लैक बंगाल पश्चिम बंगाल की नस्ल है. लेकिन इसका पालन सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है. इसी के चलते किसानों ने ये नया प्रयोग किया. ब्लैंक बंगाल नस्ल‍ खासतौर से मीट के लिए अपनी पहचान रखती है.

क्या बीमारियों से लड़ने में नंबर वन है सोनपरी 

डॉ. चेतना गंगवार का कहना है कि सोनपरी बकरी की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 22 फीसद केस में चार बच्चे तक देती है. जबकि सामान्य तौर पर ये दो से तीन बच्चे देती है. जबकि दूसरी नस्ल की बकरियां कुछ खास केस में ही तीन बच्चे तक देती हैं. बकरी पालकों के बीच इसे पसंद किए जाने की एक और बड़ी वजह ये है कि इस नस्ल में रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. क्योंकि सोनपरी नस्ल में ब्लैक बंगाल का अंश है तो इसके मीट का टेस्ट भी अलग है. इसे मीट के लिए कितना पसंद किया जाता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे बकरों के मुकाबले इसका मीट 200 रुपये किलो महंगा बिकता है. 

प्योर सोनपरी नस्ल की पहचान कैसे करें  

डॉ. चेतना गंगवार ने सोनपरी के बारे में बात करते हुए बताया कि अगर आप बाजार में सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी खरीदने जा रहे हैं तो इनकी पहचान बहुत ही आसान है. ये दिखने में डार्क ब्राउन कलर के होते हैं. इनकी पीठ यानि रीढ़ की हड्डी पर गर्दन से लेकर पूंछ तक काले रंग के उभरे हुए बाल होते हैं. इतना ही नहीं गले पर काले उभरे हुए बालों की रिंग (गोला) होती है. सींग नुकीले पीछे की ओर होते हैं. ये मध्यम आकार की बकरी है. पूंछ के पास थाई पर भी ब्राउन और ब्लैक कलर के उभरे हुए बाल होते हैं.

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