बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन है मुनाफे का सौदा, जानें लागत और फायदे 

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन है मुनाफे का सौदा, जानें लागत और फायदे 

अगर आप छोटे स्तर पर मछली पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो फिर आप बायोफ्लॉक तकनीक के सहारे मछली पालन कर सकते हैं.

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालनबायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 20, 2022,
  • Updated Dec 20, 2022, 5:53 PM IST

अगर आप किसान हैं और खेती के साथ-साथ कोई बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो मछली पालन कर सकते हैं. खेती के साथ मछली पालन करके आप अपनी आमदनी आसानी से बढ़ा सकते हैं. मौजूदा वक्त में कई युवा किसान मछली पालन बिजनेस के सहारे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी किसानों को अनुदान देती हैं.

वहीं, मछली पालन छोटे तालाबों, झीलों आदि में आसानी से किया जा सकता है. अगर आप छोटे स्तर पर मछली पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो फिर आप बायोफ्लॉक तकनीक के सहारे मछली पालन कर सकते हैं.

बायोफ्लॉक तकनीक क्या है?

बायोफ्लॉक तकनीक में, बायोफ्लॉक  नाम के एक बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक में सबसे पहले मछलियों को सीमेंट या मोटे पॉलिथीन से बने टैंक में डाला जाता है. फिर मछलियों को समान्यतः जो खाना दिया जाता है वह दिया जाता है. मछलियां जितना खाना खाती हैं, उसका 75 प्रतिशत मल के रूप में शरीर से बाहर निकाल देती हैं. फिर बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदलने का काम करता है. जिसे मछलियां खा जाती हैं. जिससे उनका विकास बहुत तेजी से होता है.

बायोफ्लॉक तकनीक में लागत 

अगर कोई मछली पालक 10 हजार लीटर क्षमता की एक टैंक बनवाता है, तो बनवाने की लागत 32 से 35 हजार रूपये आती है. जिसका लगभग 5 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर कोई मछली पालक 25-30 हजार की लागत लगाकर इसमें मछली पालन करता है, तो उसे लगभग 6 महीने में 3 से 4 क्विंटल मछलियां मिल जाती हैं. इससे तरह से इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

बायोफ्लॉक तकनीक के फायदे

•    काम लागत, सीमित जगह एवं अधिक उत्पादन.
•    चार महीने में केवल एक ही बार पानी भरा जाता है.
•    गंदगी जमा होने पर सिर्फ 10% पानी निकालकर इसे साफ रखा जा सकता है.
•    अनुउपयोगी जगह एवं कम पानी का उपयोग.
•    मजदूरों की लागत कम 

बायोफ्लॉक तकनीक से किन मछलियों का पालन करें?

आप बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से पंगेसियस, तिलापिया, देशी मांगुर, सिंघी, कोई कार्प, पाब्दा और कॉमन कार्प आदि के अलावा मछली के अन्य प्रजातियों का भी आसानी से पालन कर सकते हैं.

MORE NEWS

Read more!