दुधारू गाय-भैंस खरीदने से पहले करा लें ये एक टेस्ट, नहीं तो हो सकते हैं ठगी का शिकार

दुधारू गाय-भैंस खरीदने से पहले करा लें ये एक टेस्ट, नहीं तो हो सकते हैं ठगी का शिकार

हाल ही में पंजाब में एक पशु मेले के दौरान प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पशुओं का भी इस तरह का एक डोप टेस्ट कराया गया था. धोखधड़ी से प्रतियोगिता जीतने के बाद उस गाय-भैंस के बच्चे और उसका सीमेन ऊंचे दाम पर बेचे जाते हैं.  

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 02, 2024,
  • Updated Apr 02, 2024, 4:15 PM IST

हर एक पशुपालक का गाय-भैंस खरीदने का अपना एक तरीका होता है. लेकिन ज्यादातर पशुपालक जब चार-पांच पशु या उससे ज्यादा खरीदते हैं तो तीन-चार दिन तक उसके दूध की निगरानी करते हैं. जब उन्हें ये तसल्ली हो जाती है कि हर रोज गाय-भैंस उतना ही दूध दे रही है जितना उसका मालिक क्लेम कर रहा है तो वो उसे ले जाते हैं. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसमे भी धोखाधड़ी की जा रही है. हाल ही में इसका खुलासा गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना की एक जांच में हुआ है. 

गाय-भैंस का डोप टेस्ट करने के दौरान ये धोखाधड़ी सामने आई है. गडवासु के एनिमल एक्सपर्ट का मानना है कि पशुपालक सोशल मीडिया पर इस धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं. होता ये है कि सोशल मीडिया पर अक्सर गाय-भैंस की फोटो शेयर होती हैं. इस तरह की बहुत सारी पोस्ट में ये भी बताया जाता है कि ये गाय या भैंस 20 लीटर या फिर 30-40 और 70 लीटर तक दूध दे रही है. ऐसी पोस्ट को देखकर ज्यादातर पशुपालकों के दिल में ये ख्याल आता है कि काश उसके पास भी ऐसी दो-चार गाय होती. 

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गाय-भैंस बेचने में ऐसे की जा रही है धोखाधड़ी 

गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रनजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि देश में कुछ लोग सिंथेटिक ग्रोथ हार्मोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसे बूस्टिन-लैक्टो ट्रॉफिन भी कहा जाता है. ये चोरी छिपे गाय-भैंस को दूध बढ़ाने के लिए दिया जा रहा है. भारत में ये प्रतिबंधित है. इसके इस्तेमाल से पहले गाय-भैंस अगर 20 लीटर दूध दे रहे हैं तो बूस्टिन-लैक्टो ट्रॉफिन देने के बाद दूध की मात्रा 30 से 35 लीटर तक पहुंच जाती है. एक बार की डोज देने का असर करीब आठ से 10 दिन तक रहता है. जबकि कोई भी पशुपालक चार-पांच दिन तक ही गाय-भैंस के दूध की निगरानी करता है. 

ऐसे करा सकते हैं गाय-भैंस के दूध उत्पादन की जांच 

डॉ. इन्द्रतजीत सिंह का कहना है कि बहुत ही कम खर्च में बूस्टिन-लैक्टो ट्रॉफिन की जांच कराई जा सकती है. हमारी यूनिवर्सिटी ने इसकी जांच का तरीका खोज लिया है. जांच के लिए पशुपालक को उस गाय-भैंस का ब्लड और दूध का सैम्पल लाना होगा जिसके बारे में उसे शक है कि उस पशु को बूस्टिन-लैक्टो ट्रॉफिन दिया गया है. सिर्फ एक हजार रुपये में बिना किसी मुनाफे और नुकसान के ये जांच की जा रही है. जांच के लिए कोई भी पशुपालक गडवासु, लुधियाना में संपर्क कर सकता है. 

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डॉ. इन्द्रजीत ने बताया कि अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और पाकिस्ता‍न में ज्यादा दूध लेने के लिए धड़ल्ले से पशुओं को ये टीका दिया जा रहा है. लेकिन हमारे देश में इसकी मंजूरी नहीं है. भारत में भी साल 2010 से 2013 के बीच इसका टेस्ट किया गया था. मैंने खुद कुछ भैंसों पर इसका इस्ते‍माल किया था. लेकिन भारत सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी. तब से कुछ लोग चोरी-छिपे इसे देश में लाते हैं और पशु पालकों को बेचते हैं. 
 

 

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