गोट एक्सपर्ट और साइंटिस्ट का कहना है कि बरबरे नस्ल के बकरे-बकरियों को देश ही नहीं विदेशों में भी पसंद किया जाता है. इसी के चलते इस नस्ल को थ्री इन वन भी कहा जाता है. इस खास नस्ल का मूल स्थान यूपी है. आज भी बरबरे बकरे-बकरियों की सबसे ज्यादा संख्या यूपी में ही है. हालांकि कहा ये जाता है कि अफ्रीकी देश सोमालिया के बेरिया इलाके के नाम पर इस नस्ल का नाम बरबरे पड़ा है. इसे बरबरी भी कहा जाता है. बरबरी नस्ल आज यूपी की खास पहचान बन चुकी है.
दूध-मीट और साथ ही साल में पांच से छह बच्चे बच्चे देने के चलते भी इसे बहुत पसंद किया जाता है. अरब देशों में इनके मीट की बहुत डिमांड रहती है. एक्सपर्ट का कहना है कि बरबरी की प्योर नस्ल यूपी में खासतौर पर अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, इटावा और कासगंज जिले में पाली जाती है.
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सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एमके सिंह ने किसान तक को बताया कि बरबरी नस्ल के बकरे और बकरियों की सबसे बड़ी पहचान उनके कान और रंग हैं. 39 नस्ल के बकरे और बकरियों में बरबरी नस्ल ऐसी है जिसके बकरे और बकरियों के कान ऊपर की ओर उठे हुए नुकीले, छोटे और खड़े होते हैं. अगर रंग की बात करें तो सफेद रंग की खाल पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं. नाक चपटी और पीछे का हिस्सा भारी होता है.
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13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक हो जाती है.
15 महीने में दो बार बच्चे देती है.
पहली बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती है.
10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे देती है.
बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है.
बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है.
बरबरी बकरे-बकरियों की संख्या पर एक नजर
यूपी में- 38.96 लाख
मध्य प्रदेश- 5.88 लाख
कर्नाटक- 73.6 हजार
हरियाणा- 63.3 हजार
उत्तराखंड- 43.7 हजार.