Diwali 2023: दीवाली पर उल्लुओं की बढ़ जाती है डिमांड, अलर्ट पर यूपी का वन विभाग! जानें पीछे की मान्यता

Diwali 2023: दीवाली पर उल्लुओं की बढ़ जाती है डिमांड, अलर्ट पर यूपी का वन विभाग! जानें पीछे की मान्यता

इटावा जिला प्रभागीय वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने किसान तक से बातचीत में बताया कि दिवाली के मौके पर उल्लुओं का शिकार रोकने के लिए पूरे टाइगर रिजर्व में निगरानी के लिए वन कर्मियों की टीमें लगा दी गईं हैं.

उल्लुओं का दीपावली कनेक्शन (File photo)उल्लुओं का दीपावली कनेक्शन (File photo)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Nov 11, 2023,
  • Updated Nov 11, 2023, 3:36 PM IST

Diwali Festival 2023: दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. उल्लू को महालक्ष्मी का वाहन माना जाता है. अंधविश्वास में लोग धन पाने की चाहत में दिवाली पर उल्लू की बलि चढ़ाते हैं. इसी अंधविश्वास में लोग दिवाली से पहले उल्लू का शिकार करते हैं. इसको देखते हुए इटावा और लखीमपुर खीरी में वन विभाग की ओर से हाई अलर्ट किया गया है. दरअसल, इटावा जिले के बीहड़ों में बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रजाति के उल्लू पाए जाते हैं जिनको पकड़ने के लिए तस्कर दीपावली से पहले व्यापक पैमाने पर सक्रिय हो जाते हैं. इससे पहले कई बार तस्करों को उल्लुओं के साथ में गिरफ्तार भी किया जा चुका है. 

इटावा जिला प्रभागीय वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने किसान तक से बातचीत में बताया कि दिवाली के मौके पर उल्लुओं का शिकार रोकने के लिए पूरे टाइगर रिजर्व में निगरानी के लिए वन कर्मियों की टीमें लगा दी गईं हैं. इन टीमों में शामिल फील्ड कर्मी को जंगल से सटी आबादी वाले क्षेत्र में 24 घंटे बारी-बारी से निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम को इटावा रेलवे स्टेशन से लेकर भरथना रेलवे स्टेशन तक सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था. वन अधिकारी ने आगे बताया कि उल्लू का शिकार करने वाले लोगों के पकड़े जाने पर उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.

वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने बताया कि इटावा में उल्लू इसलिए ज्यादा पाए जाते है कि क्योंकि यहां पर सांपों की संख्या बहुत अधिक है. वहीं घना जंगल होने के कारण उल्लुओं की वातावरण अनुकूल मिलता है. फिलहाल पूरे जंगल इलाके में कई टीमें नजर बनाई हुई है. इस संबंध में चंबल सेंचुरी के कर्मियों को सतर्क कर दिया गया है, ताकि कोई भी शिकारी बलि चढ़ाने के लिहाज से उल्लुओं को पकड़ने मे कामयाब नहीं हो.

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इटावा में सिद्धि पूजा- पाठ करने वाले पुजारी दिनेश तिवारी बताते हैं कि उल्लू माता लक्ष्मी की सवारी होती हैं. दिवाली में सफेद और मटमैले रंग के उल्लुओं की मांग अधिक होती हैं. इसके एवज में लोग लाखों और करोड़ रुपए देने के लिए तैयार हो जाते हैं. इन रंग के उल्लुओं की मांग करने वाले लोगों की मान्यता है कि अगर उनको उल्लू मिल जाएगा वह कई सौ करोड़ रुपये कमा सकते हैं.

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ऐसे में इटावा में पाए जाने वाले दुर्लभ उल्लुओं की जान पर दीपावली के करीब आते ही मुश्किलें आनीं शुरू हो जातीं हैं, क्योंकि तंत्र साधना से जुड़े लोग दीपावली पर इसकी बलि चढ़ाने की दिशा में सक्रिय हो जाते हैं. दरअसल, कुछ लोग दुर्लभ प्रजाति के संरक्षित वन्यजीव उल्लुओं की बलि चढ़ाते हैं. यह बलि सिर्फ दीपावली की रात को ही पूजा अर्चना के दौरान दी जाती है. इन लोगों का मानना है कि उल्लू की बलि देने वाले को बेहिसाब धन मिलता है. 

 

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