Fisheries: एक मछली को हुई तो पूरे तालाब की मछलियों में फैल जाती है ये खास बीमारी 

Fisheries: एक मछली को हुई तो पूरे तालाब की मछलियों में फैल जाती है ये खास बीमारी 

Fish Farming अगर वक्त रहते तालाब में बीमार मछलियों की पहचान कर  इलाज और रोकथाम कर ली जाए तो तालाब की दूसरी मछलियों में फैलने से रोका जा सकता है. मछलियों में होने वाली अल्सर एक ऐसी ही बीमारी है. इस बीमारी के फैलने के कई कारण हैं. इसके चलते मछलियों की मौत भी हो जाती है. 

Paddy cultivation and fish farming togetherPaddy cultivation and fish farming together
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 29, 2025,
  • Updated May 29, 2025, 8:01 PM IST

पता नहीं ये कहावत कितनी सच और झूठ है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है. लेकिन फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो एक मछली पूरे तालाब की मछलियों को बीमार जरूर कर सकती है. अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया तो इस बीमारी से मछलियां मरने भी लगती हैं. ये एक ऐसी बीमारी है जो पहले किसी एक मछली को होती है और फिर उसके बाद एक-एक कर तालाब की सभी मछलियों में फैल जाती है. इस बीमारी के चलते मछली पालकों को कई बार पूरे तालाब में नुकसान उठाना पड़ता है. 

इतना ही नहीं अगर ये बीमारी मछली बाजार से खरीदकर कोई खा ले तो इसका असर खाने वाले में भी दिखाई देता है. एक्सपर्ट के मुताबिक मछलियों को तमाम तरह की बीमारी से बचाने के लिए तालाब की समय-समय पर सफाई करते रहें. मछलियों को क्वालिटी वाला फीड खिलाएं. बीमार मछलियों को तालाब से फौरन हटा दें. तालाब के आकार के हिसाब से ही तालाब में मछलियों की संख्या‍ रखें. तालाब पनप रहीं दूसरी अवैध मछलियों को हटाते रहें.

मछलियों में अल्सर की ऐसे करें पहचान 

फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि फंगस यानि फफूंद के चलते मछलियों के बीच अल्सर रोग जल्दी फैलता है. तालाब, टैंक में पाली जाने वाली मछलियों के साथ ही नदी में रहने वाली मछलियों में भी अल्सर रोग होता है. लेकिन खेत के पास बने तालाब में पलने वाली मछलियों में अल्सर होने की संभावना ज्यादा रहती है. इस बीमारी की पहचान मछलियों के शरीर पर खून जैसे लाल धब्बे हो जाते हैं. कुछ दिन बाद यही धब्बे घाव बन जाते हैं और मछलियों की मौत हो जाती है. 

ये उपाय अपना कर करें अल्सर की रोकथाम

तालाब को किनारे से इतना ऊंचा उठा दे या बांध बना दें कि उसमे आसपास का गंदा पानी न जाए. खासतौर पर बारिश के मौसम में बरसात होने के बाद तालाब के पानी का पीएच लेवल जरूर चेक करते हैं. या फिर बारिश के दौरान तालाब के पानी में 200 किलो के करीब चूना भी मिलाया जा सकता है. 

मछलियों अल्सर बीमारी का ऐसे करें इलाज 

अगर तालाब की कुछ मछलियों को अल्सर हो जाए तो उन्हें अलग कर दें. और अगर तालाब की ज्यातदातर मछलियों में अल्सर बीमारी फैल गई है तो तालाब में कली का चूना जिसे क्विक लाइम भी कहते हैं के ठोस टुकड़े डाल दें. एक्सपर्ट के मुताबिक प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में कम से कम 600 किलो चूना डालें. चूने के साथ ही 10 किलो ब्लीचिंग पाउडर भी प्रति एक हेक्टेयर के हिसाब से डालें. इसके साथ ही लीपोटेशियम परमेगनेट का घोल भी प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में एक लीटर तक ही डालें.  

ये भी पढ़ें- Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार  

ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा

 

MORE NEWS

Read more!