आप चाहे खेती करते हों, पशुपालन, मुर्गीपालन, या मछलीपालन. वक्त के साथ, तकनीक के साथ चलना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही आपको मौसम का भी खयाल रखना होगा. बदलते मौसम के साथ इन सब क्रियाओं में बदलाव जरूरी है. इसलिए गर्मी के मौसम में मुर्गी पालन करने वालों के लिए जरूरी है कि इस मौसम में अधिक तापमान के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से मुर्गियों को बचाया जाए, क्योंकि गर्मी अधिक बढ़ने से मुर्गियों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. ब्रॉयलर मुर्गीपालन व्यवसाय मीट के ही उत्पादन के लिए किया जाता है.
ऐसा देखा गया है कि ब्रॉयलर मुर्गीपालन यानी मीट उत्पादन अंडा उत्पादन से लाभकारी है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ब्रॉयलर मुर्गीपालन के लिए चूजे 40- 45 दिनों में तैयार हो जाते हैं. ऐसे में आपको इन पोल्ट्री बर्ड्स का गर्मी के मौसम में खास ध्यान रखना होता है जिससे कि किसी प्रकार का नुकसान ना हो और अधिक लाभ कमाया जा सके.
कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी के हेड और पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ नरेंद्र रघुबंशी ने बताया कि ब्रॉयलर मुर्गियों को शुरुआत के दिनों में पोषक आहार दें. गर्मी के मौसम में पानी की खपत बहुत ही ज्यादा होती है क्योकि मुर्गियां ज्यादा मात्रा में पानी पीती हैं. इसलिए मुर्गियों को बार-बार साफ-सुथरा और ताजा पानी देते रहना चाहिए. साथ में इलेक्ट्रॉल पाउडर भी दें जिससे मुर्गियों में किसी प्रकार की समस्या न आए.
डॉ. रघुबंशी ने बताया कि अभी गर्मियों का मौसम चल रहा है. ऐसे में आपको इन पोल्ट्री बर्ड्स का खास ध्यान रखना होता है. जैसे इनके आवास के दरवाजे या खिड़कियों पर पर्दा हटा दें. ज्यादा गर्मी पड़ने पर फैन की व्यवस्था करें. इसके साथ ही लू से बचाने के लिए चारों तरफ टाट के बोरे लगाकर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए जिससे कि मुर्गियों के लिए आवास तापमान अनकुल बना रहे. शेड में बहुत अधिक मुर्गियां रखना हानिकारक है. मुर्गी शेड में अधिक भीड़ होने से गर्मी बढ़ेगी और मुर्गियों में गर्मी का खतरा बढ़ेगा. साथ ही लू लगने की सभावना भी बढ़ेगी. इसलिए ब्रॉयलर फार्म में कम से कम प्रति मुर्गी एक वर्ग फुट जगह रखना चाहिए.
पोल्ट्री विशेषज्ञ रघुबंशी का कहना है कि शुरुआत के दिनों में पोषक आहार दें. ब्रॉयलर मुर्गियों को भर पेट खिलाएं जिससे वो तेजी से बढ़ेंगी. ब्रॉयलर चूजे अंडे देने वाली मुर्गी की तुलना में काफी तेजी से बढ़ते हैं. वृद्धि की गति को ध्यान में रखकर इनके लिए दो तरह के आहार उपयोग में लाए जाते हैं-
स्टार्टर आहार
चूजों को शुरुआती दिनों में दिए जाने वाले आहार को स्टार्टर कहते हैं. बाड़े में रखने के चार सप्ताह में ब्रॉयलर को स्टार्टर आहार दिया जाता है, जिसमें करीब 23 फीसदी प्रोटीन और करीब 3000 कैलोरी ऊर्जा होती है. इससे पक्षियों का वजन और मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है.
फिनिशर आहार
पक्षी को चार सप्ताह के बाद से फिनिशर आहार देना होता है. इसमें ऊर्जा की मात्रा में तो कोई परिवर्तन नहीं होता है लेकिन प्रोटीन की मात्रा घटा दी जाती है. इन खास बातों का ध्यान रख कर आप ब्रॉयलर पॉल्ट्री से ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं और अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं.
भीषण गर्मी में यदि मुर्गियों को एक घंटे भी पानी न मिले तो लू लगने से उनकी मौत हो सकती है. जैसे ही आप पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ाते हैं, ध्यान रखें कि धातु के बर्तनों में पानी जल्दी गर्म हो जाता है. इसलिए मुर्गियों को मिट्टी के बर्तन में पानी की व्यवस्था करें और उसमें कुछ देर के लिए ताजे पानी से भरते रहें. आमतौर पर मुर्गियां गर्म पानी नहीं पीती हैं.
डॉ नरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि मुर्गियों को रोगों से बचाव के लिए उनका टीकाकारण कराना सबसे आवश्यक है क्योंकि इससे मुर्गे गंभीर बीमारियों से बचे रहते हैं. मुर्गियों को रोगों से बचाव के लिए उनका टीकाकारण कराना सबसे आवश्यक है क्योंकि इससे मुर्गे गंभीर बीमारियों से बचे रहते हैं. चूजों को सबसे पहले मैरेक्स का टीका लगवाना चाहिए जिससे उन्हें मैरेक्स बीमारी से सुरक्षा मिल सके. यह संक्रामक रोग चूजों को ही लगता है, इसलिए चूजों को हैचरी से बाड़े में रखने पर यह टीका लगवाना बहुत जरूरी है. इस रोग का प्रकोप होने पर उनकी टांगें और गर्दन कमजोर हो जाती हैं.
लसोटा का टीका चूज़ों को 5-6 दिन पर लगवा देने से लसोटा, आरडीएफ-1 जैसे रोग नहीं होते हैं. इन रोगों से पक्षी को कुपोषण की दिक्कत हो जाती है और इनका वजन नहीं बढ़ पाता है. गंबोरो का टीका 12-18 दिन पर लगवाया जाता है. इस रोग में पक्षियों के शरीर में गांठें पड़ जाती हैं, जिससे उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है.
किसानों को अधिक तापमान से मुर्गियों को बचाने की जरूरत है क्योंकि अधिक गर्मी मुर्गियों की मृत्यु दर को बढ़ा सकती है. मुर्गियों में उच्च मृत्यु दर के कारण पोल्ट्री किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. गर्मी के मौसम में थोड़ी सी सावधानी से मुर्गियों को भीषण गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सकता है और अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है.