Goat Farming: पत्ते से लेकर तना तक खाती हैं बकरियां, दूध भी बढ़ता है, पूरे साल मिलता है ये चारा

Goat Farming: पत्ते से लेकर तना तक खाती हैं बकरियां, दूध भी बढ़ता है, पूरे साल मिलता है ये चारा

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा बीते पांच साल से मोरिंगा के पेड़ पर रिसर्च कर रहा है. साइंटिस्ट का कहना है कि मोरिंगा एक पेड़ होने के बाद भी हरे चारे के रूप में सालभर बकरे-बकरियों के हरे चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. पत्तेस के बाद इसके तने से पैलेट्स बनाकर भी बकरियों को खिलाए जा सकते हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Dec 05, 2023,
  • Updated Dec 05, 2023, 9:33 AM IST

आज किसी भी पशुपालक की सबसे बड़ी परेशानी है कि हरा चारा आसानी से और पौष्टिक नहीं मिलता है. ऑर्गेनिक की डिमांड के चलते पशुओं के लिए हरा चारा जुटाना मुश्किल हो गया है. सर्दियों के मौसम में तो फिर भी हरे चारे की जुगाड़ हो ही जाती है, लेकिन सबसे ज्या‍दा परेशानी आती है गर्मी और बरसात के मौसम में. गर्मी में हरा चारा ना के बराबर रह जाता है, जबकि बरसात के दौरान हरे चारे में नमी ज्यादा होती है. बकरियों को भी दाने और सूखे चारे के साथ हरे चारे की जरूरत होती है. 

लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो मोरिंगा (सहजन) एक ऐसा ही हरा चारा है. ये एक ऐसा पेड़ है जिसके पत्ते से लेकर तना तक भेड़-बकरियों के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. बेशक ये पेड़ होता है, लेकिन थोड़ी सी मेहनत के चलते इसे चारे के रूप में इस्तेामाल किया जा सकता है. साल के12 महीने आसानी से मिलने के साथ ही इसके खाने से बकरियों का दूध बढ़ता है तो बकरों की ग्रोथ में तेजी आ जाती है.  

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दूध और ग्रोथ के लिए इस तरह फायदेमंद है मोरिंगा

सीआईआरजी के साइंटिस्ट मोहम्मद आरिफ का कहना है कि मोरिंगा यानि सहजन में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है. इसके साथ ही दूसरे जरूरी मिनरल्स और विटामिन भी इसके अंदर हैं. दूसरे हरे चारे के मुकाबले प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स के मामले में यह बहुत ही पौष्टिक है. दूसरी सबसे बड़ी बात ये कि थोड़ी सी देखभाल के बाद प्राकृतिक तरीके से ये बहुत तेजी से बढ़ता है. इसलिए इसमे किसी भी तरह के केमिकल इस्तेमाल करने की जरूरत महसूस नहीं होती है. इसलिए ये प्राकृतिक रूप से ऑर्गेनिक भी है.  

मोरिंगा के तने से ऐसे बना सकते हैं पैलेट्स  

डॉ. आरिफ ने बताया कि मोरिंगा के तने को भी बकरी खाती है. क्योंकि इसका तना बहुत ही मुलायम होता है. इसकी पत्तियों को भी बकरे और बकरी बड़े ही चाव से खाते हैं. अगर आप चाहें तो पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं. 

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जानें कब लगाया जाता है मोरिंगा 

साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किसान तक को बताया कि मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है. जैसे बारिश का मौसम आ रहा है. अगर जून से मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो फायदेमंद रहेगा. लेकिन ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई 90 दिन यानि तीन महीने के बाद करनी है.

तीन महीने के वक्त  में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. 
तो इस तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद बाकी की कटाई हर 60 दिन बाद करनी है. काटते वक्त यह खास ख्याल रखना है कि इसकी कटाई जमीन से एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई से करनी है. इससे होता यह है कि नई शाखाएं आने में आसानी रहती है. 

 

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