बकरीद में अब सिर्फ एक महीना बचा है. वक्त को देखते हुए बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई है. हर कोई अपने हिसाब से बाजार और हाट में बकरे खरीद रहा है. बकरों की नस्ल को लेकर हर किसी की अपनी एक अलग पसंद होती है. हालांकि बकरों की खूबसूरती सभी के मानकों में शामिल होती है. मतलब जिस बकरे की कुर्बानी दी जाए वो देखने में खूबसूरत हो. यही वजह है कि खासतौर पर उत्तर भारत में बकरों की छह खास नस्ल बहुत पसंद की जाती है.
अगर आप भी इन छह नस्ल के बकरों में से कोई एक खास नस्ल का बकरा खरीदना चाहते हैं तो बड़ी आसानी से इन चार मंडियों में मिल जाएगा. इन बकरा मंडियों में दो महीने पहले से डिमांड के हिसाब बकरे आना शुरू हो जाते हैं. मंडियों में 12 हजार रुपये से लेकर एक-सवा लाख रुपये तक का बकरा बिक जाता है. अगर बकरा तंदरुस्त और खूबसूरत है तो उसके मुंह मांगे दाम मिल जाते हैं. इस मौके पर आम दिनों के मुकाबले बकरों के 25 से 30 फीसद तक ज्यादा रेट मिलते हैं.
बकरीद के दौरान उत्तर भारत में बकरों की चार बड़ी मंडी लगती हैं. इन्हीं मंडियों से निकला बकरा देश के दूसरे इलाकों में बिकने के लिए जाता है. बकरों की ये बड़ी मंडी- जसवंत नगर (यूपी), कालपी (मध्य प्रदेश), महुआ, अलवर (राजस्थान) और मेवात (हरियाणा) मंडी हैं. जानकारों की मानें तो इन सभी चार मंडियों में खास छह नस्ल के बकरों की खूब खरीद-फरोख्त होती है. इन मंडियों से ही बकरे महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल तक भी जाते हैं.
देश में बकरे-बकरियों की करीब 41 से ज्यादा नस्ल हैं. इसमे से कुछ सिर्फ दूध के लिए पाली जाती हैं तो कुछ दूध और मीट दोनों के लिए पाले जाते हैं. यूपी की खास नस्ल बरबरी, जमनापारी हैं. बरबरी नस्ल के बकरे को बरबरा बकरा कहा जाता है. इसकी देश के अलावा अरब देशों में भी खासी डिमांड रहती है. जखराना, सिरोही, सोजत राजस्थान के तो तोतापरी नस्ल का बकरा हरियाणा का है.
ये भी पढ़ें- Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार
ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा