गाय की राठी नस्ल देशी नस्लों की गायों में एक महत्वपूर्ण दूध उत्पादक नस्ल है. यह नस्ल देश के किसी भी क्षेत्र में रह सकती है. राठी गाय को 'राजस्थान की कामधेनु' भी कहा जाता है. राठी नस्ल की गायें प्रतिदिन लगभग 12 से 15 लीटर दूध देती हैं. जबकि अच्छी देखभाल और आहार के साथ, उन्हें 18 लीटर तक दूध देते हुए भी देखा गया है. इसके अलावा, राठी नस्ल के बैल बहुत मेहनती होते हैं. इस नस्ल के बैल उच्च तापमान में भी 10 घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं. राठी नस्ल की गायों को ज्यादातर राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर में पाला जाता है. ज्ञात हो कि, गुजरात में भी राठी गायों को बड़ी संख्या में पाला जाता है. इसके अलावा, राठी नस्ल की गायें भूरे रंग की होती हैं और शरीर पर सफेद धब्बे पाए जाते हैं. हालांकि, वे सफेद धब्बों के साथ पूरी तरह से भूरे या काले रंग की भी पाई जाती हैं. शरीर के निचले हिस्सों का रंग आमतौर पर शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में हल्का होता है.
इस नस्ल का मूल स्थान राजस्थान है. यह नस्ल राजस्थान के थार रेगिस्तान, बीकानेर, गंगानगर और जैसलमेर जिलों में फैली हुई है. इसकी त्वचा मुख्य रूप से सफेद धब्बों के साथ भूरे रंग की होती है और कभी-कभी इसकी त्वचा सफेद धब्बों के साथ काले या भूरे रंग की होती है. शरीर का निचला हिस्सा इसके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में हल्के रंग का होता है. इसका मुंह चौड़ा, पूंछ लंबी और लटकती हुई त्वचा मुलायम और ढीली होती है. यह एक ब्यांत में औसतन 1000-2800 किलोग्राम तक दूध देती है. पहले ब्यांत के समय इस नस्ल की गाय की उम्र 36-52 महीने होनी चाहिए और इसका एक ब्यांत 15-20 महीने का होता है.
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गर्भवती पशुओं की अच्छी देखभाल की जानी चाहिए. दरअसल गायों के अच्छे प्रबंधन से बछड़े और दूध का उत्पादन अच्छा होता है. इसके अलावा बछड़े को सिफारिशों के अनुसार टीका लगवाएं और उसके लिए उचित आवास की व्यवस्था करें.
राठी गाय की कीमत उसकी दूध देने की क्षमता, उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है. वहीं, देश में राठी गाय की कीमत 20 हजार से 60 हजार रुपये तक है.